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Saturday 13 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*माहे रमज़ान में मदनी फूल* #03
     रमज़ान में इब्लीस क़ैद कर लिया जाता है और दोज़ख के दरवाज़े बन्द हो जाते है जन्नत आरास्ता की जाती है इस के दरवाज़े खोल दिये जाते है। इस लिये इन दिनों में नेकियों की ज़ियादती और गुनाहो की कमी होती है, जो लोग गुनाह करते भी है वो नफ्से अम्मारा या अपने साथी शैतान (क़रीन) के बहकावे से करते है।

     रमज़ान के खाने पिने का हिसाब नही।

     क़यामत में रमज़ान व क़ुरआन रोज़ादार की शफ़ाअत करेंगे की रमज़ान तो कहेगा, मौला ! में ने इसे दिन में खाने पीने से रोका था और क़ुरआन अर्ज़ करेगा की या रब ! में ने इसे रात में तिलावत व तरावीह के ज़रिए सोने से रोका।

    हुज़ूर صلى الله عليه وسلم रमज़ानुल मुबारक में हर कैदी को छोड़ देते थे और हर साइल को अता फ़रमाते थे। रब भी रमज़ान में जहन्नमियो को छोड़ता है। लिहाज़ा चाहिये की रमज़ान में नेक काम किया जाए और गुनाहो से बचा जाए।
*✍🏽तफ़सीरे नईमी, 2/208*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 18*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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