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Friday 12 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आक़ा का बयाने जन्नत निशान*
     हज़रते सलमान फ़ारसी رضي الله عنه फ़रमाते है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने माहे शाबान के आखरी दिन बयान फ़रमाया : ऐ लोगो ! तुम्हारे पास अज़मत वाला बरकत वाला महीना आया, वो महीना जिस में एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनो से बेहतर है, इस के रोज़े अल्लाह ने फ़र्ज़ किये और इसकी रात में क़याम सुन्नत है, जो इसमें नेकी का काम करे तो ऐसा है जेसे और किसी महीने में फ़र्ज़ अदा किया और इसमें और इसमें जिसने फ़र्ज़ अदा किया तो ऐसा है जेसे और दिनों में 70 फ़र्ज़ अदा किये।
     ये महीना सब्र का है और *सब्र का षवाब जन्नत है* और ये महीना गम ख्वारी और भलाई का है और इस महीने में मोमिन का रिज़्क़ बढ़ाया जाता है। जो इसमें रोज़ादार को *इफ्तार कराए* उसके गुनाहो के लये मगफिरत है और उसकी गर्दन *आग से आज़ाद* कर दी जाएगी। और इस इफ्तार करने वाले को ऐसा ही षवाब मिलेगा जैसा रोज़ा रखने वाले को मिलेगा। बगैर उसके अज्र में कुछ कमी हो।
     हमने अर्ज़ की या रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم ! हम में से हर शख्स वो चीज़ नही पाता जिस से रोज़ा इफ्तार करवाए। आप ने इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह ये षवाब उस शख्स को देगा जो एक घूंट दूध या एक खजूर या एक घूंट पानी से रोज़ा इफ्तार करवाए और जिस ने रोज़ादार को पेट भर कर खिलाया, उस को अल्लाह मेरे हौज़ से पिलाएगा की कभी प्यासा न होगा। यहां तक की *जन्नत में दाखिल हो जाए।*
     ये वो महीना है की इसका *अव्वल आसरा रहमत* है, इसका *दूसरा असरा मगफिरत* है और *तीसरा असरा जहन्नम से आज़ादी* है।
     इस महीने में 4 बातो की कसरत करो। इनमे से 2 बाते ऐसी है जिन के ज़रिए तुम अपने रब को राज़ी करोगे (1) لا اله الا الله की गवाही देना (2) इस्तिग़फ़ार करना। और दूसरी 2 बातो जिन से अपने रब से बे नियाज़ी नही (1) अल्लाह से जन्नत तलब करना (2) जहन्नम से अल्लाह की पनाह तलब करना।
*✍🏽सहीह इब्ने खुज़ैम, 3/1887*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 14*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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