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Saturday 20 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #21
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रोज़े में वक़्त पास करने के लिये*
     काफी नादान ऐसे भी देखे जाते है जो अगरचे रोज़ा तो रख लेते है मगर फिर उन बेचारो का वक़्त पास नही होता। लिहाज़ा वो भी ऐहतिरामे रमज़ान को एक तरफ रख कर हराम व ना जाइज़ कामो का सहारा ले कर वक़्त पास करते है और यु रमज़ान में शतरंज, ताश, लुड्डू, गाने बाजे, वगेरा में मश्गुल हो जाते है।
     याद रखिये ! शतरंज और ताश वगैरा पर शर्त न भी लगाई जाए तब भी ये खेल ना जाइज़ है। बल्कि ताश में चुकी जानदारों की तस्वीरें भी होती है इस लिये मेरे आक़ा आला हज़रत رحمة الله عليه ने ताश को मुतलकन हराम लिखा है। चुनांचे फ़रमाते है ताश हरामे मुतलक़ है की इन में इलावा लहवो लइब के तस्वीरों की ताज़ीम है।
*✍🏼फतवा रज़विय्या, 24/141*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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