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Wednesday 31 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #17
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सोने के बाद सहरी की इजाज़त न थी_*
     रात को उठ कर सहरी करने की इजाज़त नही थी. रोज़ा रखने वाले को गुरुबे आफ़ताब के बाद सिर्फ उस वक़्त तक खाने पिने की इजाज़त थी जब तक वो सो न जाए. अगर सो गया तो अब बेदार हो कर खाना पीना ममनुअ था। मगर अल्लाह ने अपने प्यारे बन्दों पर एहसान अज़ीम फ़रमाते हुए सहरी की इजाज़त दी और इस का सबब यु हुवा....

*_सहरी की इजाज़त की हिकायत_*
     हज़रते सरमा बिन क़ैस رضي الله عنه मेहनती शख्स थे। एक दिन बी हालते रोज़ा अपनी ज़मीन में दिन भर काम कर के शाम को घर आए। अपनी ज़ौजा से खाना तलब किया, वो पकाने में मसरूफ़ हुई। आप थके हुए थे, आँख लग गई। खाना तैयार कर के जब आप को जगाया गया तो आप ने खाने से इनकार कर दिया। क्यू की उन दिनों (गुरुबे आफ़ताब के बाद) सो जाने वाले के लिये खाना पीना ममनुअ हो जाता था। चुनान्चे खाए पाई बगैर आप ने दूसरे दिन भी रोज़ा रख लिया। आप कमज़ोरी के सबब बेहोश हो गए।
*तफ्सिरल ख़ाज़िन, 1/126*
     तो इन के हक़ में ये आयते मुक़द्दसा नाज़िल हुई : और खाओ और पियो यहा तक की तुम्हारे लिये ज़ाहिर हो जाए सपेदी का डोरा सियाही के डोरे से पो फट कर। फिर रात आने तक रोज़े पुरे करो।
पारहा, 2 अल बक़रह, 187

     इससे ये मालुम हुवा की रोज़े का अज़ान फज्र से कोई तअल्लुक़ नही यानी फज्र की अज़ान के दौरान खाने पिने का कोई जवाज़ ही नही। अज़ान हो या न हो आप तक आवाज़ पहुचे या न पहुचे सुब्हे सादिक़ होते ही आप को खाना पीना बिल्कुल ही बन्द करना होगा।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 155*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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