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Friday 19 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #19
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*साल भर की नेकियां बर्बाद*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم "बेशक जन्नत रमज़ान के लिये एक साल से दूसरे साल तक सजाई जाती है, पस जब रमज़ान आता है तो जन्नत कहती है, ऐ अल्लाह ! मुझे इस महीने में अपने बन्दों में से मेरे अन्दर रहने वाले अता फरमा दे। और हूरे कहती है, ऐ अल्लाह ! इस महीने में हमे अपने बन्दों में से शौहर अता फरमा।
     फिर आक़ा صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया जिस ने इस माह में अपने नफ़्स की हिफाज़त की और न तो कोई नशा आवर शय पी और न ही किसी मोमिन पर बोहतान लगाया और न ही इस माह में कोई गुनाह किया तो अल्लाह हर रात के बदले इस का 100 हूरे से निकाह फ़रमाएगा और उस के लिये जन्नत में सोने, चांदी और याकूत का ऐसा महल बनाएगा की अगर सारी दुन्या जमा हो जाए और इस महल में आ जाए तो इस महल की उतनी ही जगह घेरेगी जितना बकरियो का एक बाडा दुन्या की जगह घेरता है।
     और जिसने इस माह में कोई नशा आवर शय पी या किसी मोमिन पर बोहतान बांधा या इस माह में कोई गुनाह किया तो अल्लाह उस के एक साल के आमाल बर्बाद फरमा देगा।
     पस तुम माहे रमज़ान के हक़ में कोताही करने से डरो क्यू की ये अल्लाह का महीना है। अल्लाह ने तुम्हारे लिये 11 महीने कर दिये की इन में नेअमतों से लुत्फ़ अन्दोज़ हो और लज़्ज़त हासिल करो और अपने लिये एक महीना खास कर लिया है। पस तुम रमज़ान के मुआमले में डरो।
*✍🏽अल मुजमुल अवसत, 2/141, हदिष:3688*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 73*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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