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Sunday 28 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_तीन बदबख्त_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने माहे रमज़ान को पाया और उस के रोज़े न रखे वो शख्स शक़ी (बदबख्त) है। जिसने अपने वालिदैन या किसी एक को पाया और उन के साथ अच्छा सुलूक न किया वो भी शक़ी (बदबख्त) है। और जिस के पास मेरा ज़िक्र हुवा और उस ने मुझ पर दुरुद न पढ़ा वो भी शक़ी (बदबख्त) है।
*✍🏼मज्मउ ज़्ज़वाइद, 3/340, हदिष:4773*

*_नाक मिटटी में मिल जाए_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : उस शख्स की नाक मिट्टी मेबमिल जाए की जिस के पास मेरा ज़िक्र किया गया तो उस ने मुझ पर दुरुद नही पढ़ा और उस शख्स की नाक मिट्टी में मिल जाए जिस पर रमज़ान का मिहना दाखिल हुवा फिर उस की मगफिरत होने से क़ब्ल गुज़र गया। और उस आदमी की नाक मिट्टी में मिल जाए की जिस के पास उस के वालिदैन ने बुढ़ापे को पा लिया और उस के वालिदैन ने उस को जन्नत में दाखिल नही किया। (यानि बूढ़े माँ बाप की खिदमत कर के जन्नत हासिल न कर सका)
*✍🏼मुस्नदे अहमद, 3/61, हदिष:7455*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 120*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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