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Monday 29 May 2017

*अहकामे रोज़ा* #14
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_रोज़ा रख कर भी गुनाह तौबा ! तौबा !_*
     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! खुदारा ! अपने हाले ज़ार पर तरस खाइये और गौर फरमाइये ! की रोज़ादार माहे रमज़ान में दिन के वक़्त खाना पीना छोड़ देता है हलाकि ये खाना पीना इस से पहले दिन में भी बिलकुल जाइज़ था। फिर खुद ही सोच लीजिये की जो चीज़े रमज़ान से पहले हलाल थी वो भी जब इस मुबारक महीने के मुक़द्दस दिनों में मना कर दी गई। तो जो चीज़े रमज़ान से पहले भी हराम थी, मसलन झूट, गीबत, चुगली, बाद गुमानी, गालम गलोच, फिल्में ड्रामे, गाने बाजे, बद निगाही, दाढ़ी मुंडाना या एक मुठ से घटाना, वालिदैन को सताना, बिला इजाज़ते शरई लोगो का दिल दुखाना वगैरा, वो रमज़ान में क्यू न और भी ज़्यादा हराम हो जाएगी ?
     रोज़ादार जब रमज़ान में हलाल व तय्यिब खाना पीना छोड़ देता है, हराम काम क्यू न छोड़ दे ? अब फरमाइये ! जो शख्स पाक और हलाल खाना पीना तो छोड़ दे लेकिन हराम और जहन्नम में ले जाने वाले काम ब दस्तूर जारी रखे वो किस किस्म का रोज़ादार है ?

*_अल्लाह को कुछ हाजत नही_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो बुरी बात कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो उस के भूका प्यासा रहने की अल्लाह को कुछ हाजत नही।
*✍🏼सहीह बुखारी, 1/628, हदिष:1903*

     एक और मक़ाम पर फ़रमाया : सिर्फ खाने और पीने से बाज़ रहने का नाम रोज़ा नही बल्कि रोज़ा तो ये है की लग्व और बे हुदा बातो से बचा जाए।
*✍🏼मुस्तदरक लील हाकिम, 2/67, हदिष:1611*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 123*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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