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Friday 5 May 2017

*आक़ा ﷺ का महीना* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_महरूम लोग_*
     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! शबे बरात बेहद अहम रात है, किसी सूरत से भी इसे गफलत में न गुज़ारा जाए, इस रात खुसुसिय्यत के साथ रहमतो की छमाछम बरसात होती है। इस मुबारक शब में अल्लाह "बनी क़ल्ब" की बकरियो के बालो से भी ज्यादा लोगो को जहन्नम से आज़ाद फ़रमाता है।
     किताबो में लिखा है : क़बिलए बनी क़ल्ब क़बाइले अरब में सब से ज्यादा बकरिया पालता था।

     आह ! कुछ बद नसीब ऐसे भी है जिन पर इस शबे बरात यानि छुटकारा पाने की रात भी न बख्शे जाने की वईद है। हज़रते इमाम बेहकी शाफ़ेई अलैरहमा "फ़ज़ाइलुल अवक़ात" में नकल करते है : रसूले अकरम ﷺ का फरमाने इबरत निशान है : 6 आदमियो की इस रात भी बख्शीश नहीं होगी।
1 शराब का आदि
2 माँ बाप का ना फरमान
3 ज़ीना का आदि
4 कते तअल्लुक़ करने वाला
5 तस्वीर बनाने वाला
6 चुगल खोर इसी तरह काहिन, जादूगर, तकब्बुर के साथ पाजामा या तहबन्द टखनों के निचे लटकाने वाले और किसी मुसलमान से बुग्ज़ो किना रखने वाले पर भी इस रात मग्फिरत की सआदत से महरूमी की वईद है,

     चुनान्चे तमाम मुसलमानो को चाहिये के इन गुनाहो में से अगर मआज़अल्लाह किसी गुनाह में मुलव्वत हो तो वो बिल खुसुस उन गुनाहो से और बिल उमुम हर गुनाह से शबे बरात के आने से पहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर ले, और अगर बन्दों की हक़ तलफिया की है तो तौबा के साथ उन की मुआफ़ी तलाफि की तरकीब फ़रमा ले।
*✍🏽आक़ा का महीना, 11,12*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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