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Friday 19 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #20
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रमज़ान में गुनाह करने वाला*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मेरी उम्मत ज़लील व रुस्वा न होगी जब तक वो रमज़ान का हक़ अदा करती रहेगी। अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! रमज़ान के हक़ को ज़ाए करने में उन का ज़लील व रुस्वा होना क्या है ? फ़रमाया : इस माह में उन का हराम कामो का करना।
     जिस ने इस माह में ज़ीना किया या शराब पी तो अगले रमज़ान तक अल्लाह और जितने आसमानी फ़रिश्ते है सब उस पत लानत करते है। पस अगर ये शख्स अगले रमज़ान को पाने से पहले ही मर गया तो उस के पास कोई ऐसी नेकी न होगी जो उसे जहन्नम की आग से बचा सके। पस तुम रमज़ान के मुआमले में डरो क्यू की जिस तरह इस माह में और महीनो के मुकाबले में नेकियां बढ़ा दी जाती है इसी तरह गुनाहो का भी मुआमला है।
*✍🏼अल मुजमुस्सगिर लीत्तबरानी, 9/60, हदिष:1488*
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 75*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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