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Sunday 14 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जन्नत सजाई जाती है*
     रमज़ान के इस्तिक़बाल के लिये सारा साल जन्नत को सजाया जाता है। चुनान्चे हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने उमर رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : बेशक जन्नत इब्तिदाई साल से आइन्दा साल तक रमज़ान के लिये सजाई जाती है और फ़रमाया रमज़ान के पहले दिन जन्नत के दरख्तो के निचे से बड़ी आँखों वाली हूरो पर हवा चलती है और वो अर्ज़ करती है, ऐ पवरदगार ! अपने बन्दों में से ऐसे बन्दों को हमारा शौहर बना जिन को देख कर हमारी आँखे ठंडी हो और जब वो हमे देखे तो उन की आँखे भी ठंडी हो।
*✍🏽शुअबुल ईमान, 3/312, हदिष:3633*

     जन्नत की अज़मत की तो क्या ही बात है ! काश ! हमे बे हिसाब बख्श दिया जाए और जन्नतुल फ़िरदौस में मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم का पड़ोस नसीब हो जाए।
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ, 20*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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