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Friday 26 May 2017

*बरकाते ज़कात* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_क़ारून की हलाकत_* #03
     हज़रते मूसा अलैहीस्सलाम ने फ़रमाया उसे बुलाओ। वो आई तो हज़रते मूसा ने फ़रमाया तुझे उस ज़ात की क़सम ! जिस ने बनी इसराइल के लिये दरिया फाड़ा और उसमे रस्ते बनाए और तौरेत नाज़िल की, सच बात कहो।

     वो औरत डर गई और उसे अल्लाह के रसूल पर बोहतान लगा कर उन्हें इज़ा देने की जुरअत न हुई, उसने अपने डी में कहा कि इस से तौबा करना बेहतर है। चुनान्चे उसने हज़रते मूसा से अर्ज़ की, कि अल्लाह की क़सम ! जो कुछ क़ारून कहलवाना चाहता है वो झूट है, सच तो ये है की इसने मुझे कसीर माल का लालच दिया ताकि में आप पर तोहमत लगाऊ।

     ये सुन कर हज़रते मूसा अपने रब के हुज़ूर रोते हुए सज्दे में गिरे और ये अर्ज़ करने लगे : या रब ! अगर में तेरा रसूल हु तो मेरी खातिर क़ारून पर अपना गज़ब फ़रमा।

     अल्लाह ने आप की तरफ वही फ़रमाई कि मेने ज़मीन को आप की फ़रमा बरदारी करने का हुक्म दिया है, आप इस को जो चाहे हुक्म दे।

बाक़ी कल की पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼बरकाते ज़कात, स.5*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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