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Tuesday 16 May 2017

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* 13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*दो अँधेरे दूर*
     मन्कुल है की अल्लाह ने हज़रते मूसा कलीमुल्लाह से फ़रमाया की में ने उम्मते मुहम्मदिय्या को दो नूर अता किये है ताकि वो दो अंधेरो के नुक़्सान से महफूज़ रहे। मूसा कलीमुल्लाह ने अर्ज़ की या अल्लाह ! वो दो नूर कौन से है ? इर्शाद हुवा "नुरे रमज़ान" और "नुरे क़ुरआन"। मूसा कलीमुल्लाह ने अर्ज़ की : दो अँधेरे कौन से है ? फ़रमाया : "एक क़ब्र" और "दूसरा क़यामत" का।
*✍🏽दुर्रतुन्नासीहीन, 9*

*बख्शीश का बहाना*
     हज़रते अलियुल मुर्तज़ा كرم الله وجهه الكريم फ़रमाते है : अगर अल्लाह को उम्मते मुहम्मदी पर अज़ाब करना मक़सूद  होता तो उन को रमज़ान और सूरए कुल्हु वल्लाह शरीफ हरगिज़ इनायत न फ़रमाता।
*✍🏽नुज़हतुल मजालिस, 1/216*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 28*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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