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Friday 28 October 2016

*गफलत* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_अनोखी नदामत_*
     हजरते सैय्यिदुना शैख अबू अली दक्कक फरमाते है : एक बड़े वलिय्युल्लाह सख्त बीमार थे, मैं इयादत के लिये हाजिर हुवा, इर्द गिर्द मो'तकिदीन का हुजूम था, वोह बुजुर्ग रो रहे थे । मैं ने अर्ज़ की : ऐ शैख ! क्या दुन्या छूटने पर रो रहे है ? फ़रमाया : नहीं बल्कि नमाजे क़ज़ा होने पर रो रहा हूं । मै ने अर्ज की : हुजूर ! आप की नमाजे क्यूंकर क़ज़ा हो गई ? फ़रमाया : मै ने जब भी सजदा किया तो गफलत के साथ और जब सजदे से सर उठाया तो गफलत के साथ और जब गफलत ही मौत से हम-आगोश हो रहा हूं, फिर एक आहे सर्द दिले पुरदर्द से खींच कर  चार अ-रबी अशआर पढ़े जिन का तरजमा येह है :
     (1) मै ने अपने हशर्, क़ियामत के दिन और कब्र में अपने रुखसार के पड़ा  होने के बारे में गौर किया (2) इतनी इज्जत व् रिफअत के बा'द मै अकेला पड़ा होऊंगा और अपने जुर्म के बिना पर रहन (या'नी गिरवी) होऊंगा और खाक ही मेरा तकया होगा (3) मै ने अपने हिसाब की तिलावत और  नामए आ'माल दिये जाने के वक्त की रुसवाई के बारे में भी सोचा (4) मगर ऐ मुझे पैदा कर ने वाले और मुझे पालने वाले ! मुझे तुजसे रेहमत की उम्मीद है, तुही मेरी खताओ को बख्शने वाला है ।

*_रोता हुवा दाखिले जहन्नम होगा_*
     इस हिकायत में किस कदर इब्रत है । जरा इन अल्लाह वालो को देखिये जिनका हर लम्हा यादे इलाही में बसर होता है मगर फिर भी इन्किसारी का आलम येह है की अपनी इबादत व् रियाजत को किसी खातिर में नहीं लाते और अल्लाह की बे नियाजी और उस की खुफ़या तदबीर से डरते हुए गियॉ व् जारी करते है ।
     उन गफलत के मारो पर सद करोड़ अफ़सोस की नेकी के नुन का नुक़्ता तक जिन के पल्ले नहीं, इखलास का दूर दूर तक नामो निशान नहीं मगर हाल येह है की अपनी इबादतों के बुलंद बांग दा'वे करते नहीं थकते ! अल्लाह के नेक बन्दे गुनाहो से महफूज होने के बा वुजूद खौफ इलाही से थर थराते कप-कपाते और टपटप आंसू गिरते है मगर गफलत शिआर बन्दों का हाल येह है की बे धड़क मा'सियत का सिलसिला चलाते, अपने गुनाहो का आम ए'लान सुनाते और फिर इस पर जोर जोर से कहकहे लगाते जरा भी नही सरमाते, कान खोल कर सुनिये ! हजरते सैय्यिदुना इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है : "जो हंस हंस कर गुनाह करेगा वोह रोता हुवा जहन्नम में दाखिल होगा ।"

*_अगर ईमान बरबाद हो गया तो..._*
     हंस हंस कर झुट बोलने वालो, हंस हंस कर वा'दा खिलाफी करने वालो, हंस हंस कर मिलावट वाला माल बेचने वालो, हंस हंस कर फिल्में डिरामे देखने वालो और गाने बाजे सुनने वालो, हंस हंस कर मुसल्मानो को सताने और बिला इजाजते शर-ई उन की दिल आजरिया करने वालो के लीये लम्हा फ़िक्रिया हे, अगर अल्लाह नाराज हो गया और उसके प्यारे महबूबﷺ रूठ गए और गफलत के सबब दीद दिलेरी के साथ हंस हंस कर गुनाहो का इरतिकाब करने के बाइस ईमान बरबाद हो गया और जहन्नम मुकद्दर बन गया तो क्या बनेगा ! जरा दिल के कानो से खुदाए रहमान का फरमाने इब्रत निशान सुनिये !
     चुनान्चे पारह 10 सु-रतुत्तौबह की आयत 82 में इर्शाद होता है :
*तो उन्हें चाहीये के थोडा हंसे और बहुत रोएं ।*
*✍🏽गफलत, 7*
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खादिमे दिने नबीﷺ *ज़ैद वहोरा*
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