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Tuesday 25 October 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_गज़्वाए मुरैसीअ_*
     इसका दूसरा नाम " गज़्वाए बनी अल मुस्तलिक" भी है "मुरैसीअ" एक मक़ाम का नाम है जो मदीने से 8 मंज़िल दूर है।  
     क़बिलए खज़ाआ का एक खानदान " बनू अल मुस्तलिक" यहाँ आबाद था और इस क़बीले का सरदार हारिष बिन ज़रार था इसने भी मदीने पर फ़ौज़ कशी के लिये लश्कर जमा किया था, जब ये खबर मदीने पहुची तो 2 शाबान सी.5 ही. को हुज़ूरﷺ मदीने पर हज़रते ज़ैद बिन हारिषाرضي الله تعالي عنه को अपना खलीफा बना कर लश्कर के साथ रवाना हुए। इस गज़्वे में हज़रते बीबी आइशा और हज़रते बीबी उम्मे सलमहرضي الله تعالي عنها भी आपﷺ के साथ थी।
     जब हारिष बिन ज़रार को आपﷺ की तशरीफ़ आवरी की खबर हो गई तो उस पर ऐसी दहशत सुवार हो गई की वो और उस की फ़ौज़ भाग कर मुन्तशिर हो गई मगर खुद मुरैसीअ के बाशिन्दों ने लश्करे इस्लाम का सामना किया और जम कर मुसलमानो पर तीर बरसाने लगे लेकिन जब मुसलमानो ने एक साथ मिल कर हमला कर दिया तो 10 कुफ़्फ़ार मर गए और एक मुसलमान भी शहीद हो गया, बाक़ी सब कुफ़्फ़ार गिरफ्तार हो गए जिन की तादाद 700 से ज़ाइद थी, 2000 ऊंट और 5000 बक़रीया माले गनीमत में सहाबए किराम के हाथ आई।
     गज़्वाए मुरैसीअ जंग के ऐतिबार से तो कोई ख़ास अहमिय्यत नही रखता मगर इस जंग में बाज़ ऐसे अहम वाक़ीआत दरपेश हो गए की ये गज़्वा तारीखे नबवी का एक बहुत ही अहम और शानदार उन्वान बन गया है,

     इन मश्हूर वाक़ीआत में से चाँद वाक़ीआत इन्शा अल्लाह अगली पोस्ट में देखेंगे...
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 307*
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