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Monday 17 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #37
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #17
     इसके बाद उसका भाई तल्हा बिन तारिक़ अपने बाप और भाई का बदला लेने के लिये आतिशी शोले की तरह हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه पर दौड़ पड़ा। आप ने उसके गिरेबान में हाथ दाल कर ज़ीन से उठा लिया और ज़मीन पर इस ज़ोर से पटका की उस का दम निकल गया, आप की हैबत से लश्कर में शोर बरपा हो गया।
     इब्ने साद ने एक मसहूर बहादुर मिसराअ इब्ने ग़ालिब को आप के मुक़ाबले के लिये भेजा, मिसराअ ने आप पर हमला किया, आप ने तलवार से नेज़ा कलम करके उसके सर पर ऐसी तलवार मारी की ज़ीन तक काट गई दो टुकड़े हो कर गिर गया, अब किसी में हिम्मत न रही थी की तन्हा इस शेर के मुक़ाबिल आता, ना चार इब्ने साद ने महकम बिन तुफैल और इब्ने नौफिल को एक एक हज़ार सुवारो के साथ आप पर यकबारगि हमला करने के लिये भेजा। आप ने नेज़ा उठा कर उन पर हमला किया और उन्हें धकेल कर कल्बे लश्कर तक भगा दिया। इस हमले में आप के हाथ से कितने बद नसीब हलाक हुए, कितने पीछे हटे।
     आप पर प्यास की शिद्दत बहुत हुई, फिर आप ने घोड़े दौड़ा कर अपने वालिद की खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज़ किया : बाबा ! प्यास की बहुत शिद्दत है। इस मर्तबा हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया ! ऐ नुरे दीदा ! होज़े कौषर से सैराबि का वक़्त क़रीब आ गया है, दस्ते मुस्तफा से वो जाम मिलेगा जिस की लज़्ज़त न तसव्वुर में आ सकती है न ज़बान बयान कर सकती है। ये सुन कर हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه को ख़ुशी हुई और वो फिर मैदान की तरफ लौट गए।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 158*
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