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Saturday 8 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_*
*_कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_*​​​​​​​​​​​​ #06
     हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه इस गुर्बत व मुसाफरत में तन्हा रह गए। किधर जाए, कहा क़याम करे, हैरत है कूफा के तमाम मेहमान खानो के दरवाज़े बांध हो गए थे, नादान बच्चे साथ है, कहा उन्हें लिटाए, कहा सुलाए, कूफा के वसी खित्ते में दो चार गज़ ज़मीन हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه के शब् गुज़ारने के लिये नज़र नहीं आती।
     उस वक़्त हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه को इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه की याद आती है और दिल तड़पा देती है, वो सोचते है की मेने इमाम की जनाब में खत लिखा, तशरीफ़ आवरी की इल्तिजा की है और इस बद अहद क़ौम के इख्लास व अक़ीदत का एक दिलकश नक़्शा इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه के हुज़ूर पेश किया है और तशरीफ़ आवरी पर ज़ोर दिया है। यक़ीनन हज़रते इमाम हुसैनرضي الله تعالي عنه मेरी इल्तिजा रद नही फरमाएंगे और यहा के हालात से हालात से मुतमइन हो कर अहलो अयाल चल पड़े होंगे, यहाँ उन्हें क्या मसाइब और उन जन्नती फूलो को इस बे मेहरी की तपिश कैसे सुकून पोहचएगी।
     ये गम अलग दिल को घायल कर रहा था ओर अपनी तहरीर पर शर्मिंदगी और हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के लिये खतरात अलाहिदा बे चैन कर रहे थे और मौजूदा परेशानी जुदा दामनगिर थी।
     इस हालत में हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه को प्यास मालुम हुई, एक घर सामने नज़र पड़ा जहा तूआ नामी एक औरत मौजूद थी उससे आप ने पानी मांगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 123*
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