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Wednesday 12 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #21
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #01
*_10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_* #01
     10वी मुहर्रम का क़यामत नुमादिन आया। जुमुआ की सुब्ह हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने तमाम अपने रुकफाए अहले बैत के साथ फज़र के वक़्त अपनी उम्र की आखरी नमाज़ अदा फ़रमाई। पेशानियो ने सजदों में खूब मज़े लिये, ज़बानों ने किराअत व तसबिहात के लुत्फ़ उठाए। नमाज़ से फराग के बाद ख़ैमे में तशरीफ़ लाए, 10वी मुहर्रम का आफताब करिबे तुलुअ है, इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه और उनके तमाम रुफका व अहले बैत 3 दिन के भूके प्यासे है, एक कतराए आब मुयस्सर नहीं आया और एक लूक़मा हल्क़ से नही उतरा, भूक प्यास से जिस क़दर ज़ोफ़् व नातुवानी का गल्बा हो जाता है इसका वही लोग कुछ अंदाज़ा कर सकते है जिन्हें कभी दो तिन वक़्त के फाके की नौबत आई हो। फिर बे वतनी, तेज़ धुप, गर्म रेत, गर्म हवाए, उन्हों ने नाज़ परवर दगाने आगोशे रिसालत को केसा पज़मुर्दा कर दिया होगा।
     इन बे वतन पर जोरो के पहाड़ तोड़ने के लिये 22000 फ़ौज सफर बांधे मौजूद, जंग का नक़्क़ारा बजा दिया गया और मुस्तफाﷺ के फ़रज़न्द और फातिमा ज़हराرضي الله تعالي عنها के जिगर को मेहमान बना कर बुलाने वाली क़ौम ने जानो पर खेलने की दावत दी।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने अर्सए कारज़ार में तशरीफ़ फरमा कर एक ख़ुत्बा फ़रमाया जिस में बयान फ़रमाया की "खूने नाहक हराम और गजबे इलाही का मुजीब है, में तुम्हे आगाह करता हु की तुम इस गुनाह में मुब्तला न हो, में ने किसी को क़त्ल नही किया है, किसी का घर नही जलाया, किसी पर हमला आवर नही हुवा। अगर तुम अपने शहर में मेरा आना नही चाहते हो तो मुझे वापस जाने दो, तुम से किसी चीज़ का तलबगार नही, तुम्हारे दरपे आज़ार नही, तुम क्यू मेरी जान के दरपे हो और तुम किस तरह मेरे खून के इलज़ाम से बरी होब्स्क्ते हो ?
     रोज़े मेहशर तुम्हारे पास मेरे खून का क्या जवाब होगा ? अपना अंजाम सोचो और अपनी अपनी आकिबत पर नज़र डालो, फिर ये भी समजो की में कौन और बारगाहे रिसालत में किस चश्मे करम का मंजूरे नज़र हु, मेरे वालिद कौन है और मेरी वालिदा किस की लखते जिगर है ? में उन्ही बतुले ज़हरा का नुरे दीदा हु जिन के पुल सिरात पर गुज़रते वक़्त अर्श से निदा की जाएगी की ऐ अहले मेहशर ! सर झुकाओ और आँखे बंद करो की हज़रते खातुने जन्नत पुल सिरात से 70000 हूरो को रिकाबे सआदत में ले कर गुज़रने वाली है।
     में वही हु जिसकी महब्बत को सरवरे आलमﷺ ने अपनी महब्बत फ़रमाया है, मेरे फ़ज़ाइल तुम्हे खूब मालुम है, मेरे हक़ में जो अहादिश वारिद हुई है इस से तुम बे खबर नही हो।

इसके जवाब में कुफियो ने जो कहा वो अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 137*
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