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Friday 14 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #28
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #08
     दुश्मनो में ख़ैमे से पुकार आते ही वहब फिर मैदाने जंग में आ पंहुचा। उस वक़्त दुश्मनो की तरफ से एक मशहूर बहादुर और नामदार सुवार हकम बिन तुफैल गुरुर में सरशार था। वहब ने एक ही हमले में उसको नेज़े पर उठा कर इस तरह ज़मीन पर दे मारा की हड्डिया चकना चूर हो गई और दोनों लश्करो में शोर मच गया और दुश्मनो में हिम्मते मुक़ाबला न रही।
     वहब घोडा दौड़ता कल्बे दुश्मन पर पहुचा, जो भी सामने आता उस को नेज़े की नोक पर उठा कर ख़ाक पर पटक देता यहाँ तक की नेज़ा पारा पारा हो गया, तलवार मियान से निकाली और दुश्मनो की गर्दने उडा कर ख़ाक में मिला दी। जब दुष्मनाने इस्लाम इस जंग से तंग आ गए तो अम्र बिन साद ने हुक्म दिया की लोग इस के गिर्द हुजूम कर के हमला करदे और हर तरफ से यक़बारगि हाथ छोड़े, ऐसा ही किया और जब वो नौजवान ज़ख्मो से चूर हो कर ज़मीन पर आया तो सियाह दिलोंने बद बातिन ने उसका सर काट कर लश्करे इमाम हुसैन में डाल दिया।
     उसकी माँ बेटे के सर को अपने मुह से मलती थी और कहती थी ऐ बेटा ! बहादुर बेटा ! अब तेरी माँ तुझ से राज़ी हुई। फिर वो सर उस दुल्हन की गोद में ला कर रख दिया, दुल्हन ने अपने प्यारे शोहर के सर को बोसा दिया। उसी वक़्त परवाने की तरह उस शमए जमाल पर क़ुरबान हो गई और उसकी रूह अपने नौशे के साथ हम आगोश हो गई।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 146*
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