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Tuesday 25 October 2016

*सोने की ईंट*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     मन्कुल है : एक नेक शख्स को कहि से सोने की ईंट हाथ लग गई। वह दौलत की महब्बत में मस्त हो कर रात भर तरह तरह के मनसूबे बंधता रहा की अब तो में बहुत अच्छे अच्छे खाने खाऊंगा, बेहतरीन लिबास सिलवाऊंगा और बहुत सारे खुद्दाम अपनाउंगा । अल गरज मालदार बन जाने के सबब वोह राहतो और आसाइसो के तसव्वुरात में गुम हो कर उस रात रब्बे अकबर से यक्सर ग़ाफ़िल हो गया । सुब्ह इसी धन की धुन में मगन मकान से निकला, इत्तफाकन कब्रिस्तान के करीब से उसका गुजर हुवा, क्या देखता हे की एक शख्स ईंटे बनाने के लिये एक कब्र पर मिटटी गूंध रहा है, येह मन्ज़र देख कर यकदम् उस की आँखों से गफलत का पर्दा हट गया और इस तसव्वुर से उस की आँखों से आंसू जारी हो गए की शायद मरने के बा 'द मेरी कब्र की मिटटी से भी लोग ईंटे बनाएंगे, आह ! मेरी आलीशान मकानात और उम्दा मल्बूसात वगैरा धरे के धरे रह जाएंगे लिहाजा सोने की ईंट से दिल लगाना तो जिंन्दगी को सरासर गफलत में गवाना है, हां अगर दिल लगाना ही हे तो मुझे अपने प्यारे प्यारे अल्लाह से लगाना चाहिये । चुनान्चे उस ने सोने की ईंट तर्क की जोहदो क़नाअत इख्तियार की ।

*_गफलत के अस्बाब_*
     वाकेइ दुनिया की कसरत की सूरत में मिलने वाली ने'मत में सरासर गफलत का अंदेशा है, जो दुन्यवी ने'मत से दिल लगाता है वोह गफलत का शिकार हो कर रह जाता है, गफलत फिर गफलत है, गफलत बन्दे को रब्बुल इज्जत से दूर कर देती है ।
     अच्छी तिजारत भी ने'मत है, दौलत भी ने'मत है, आलिशान मकान भी ने'मत है, उम्दा सुवारी भी ने'मत है, माँ बाप के लिये औलाद भी ने'मत है किसी भी दुन्यवी ने'मत में जरुरत से जियादा मशगुलियात बाइसे गफलत है ।
     चुंनांचे पारह 28 सू-रतुल मुनाफिकुन की आयात 9 में इर्शाद होता है:
*ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज तुम्हे अल्लाह के ज़िक्र से ग़ाफ़िल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुकशान में है ।*
     इस आयते मुक़द्दसा के उन लोगो को दर्से इब्रत हासिल करना चाहिये की जिनको नेकी की दा'वत पेस की जाती है और नमाज के लिये बुलया जाता है तो कह दिया करते है : "जनाब ! हम तो अपने रिज्क् की फिक्र में लगे रहते है, रोजी कमाना और बाल बच्चों की खिदमत करना भी तो इबादत है हमें इस से फुरसत मिलेगी तो आप के साथ मस्जिद में भी चलेंगे ।" यक़ीनन ऐसी बाते गफलत ही करवाती है ।
*✍🏽गफलत, 2*
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खदिमे दिने नबीﷺ *ज़ैद वहोरा*
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