Pages

Wednesday 12 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #22
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #02
     इसका जवाब ये दिया गया की तमाम फ़ज़ाइल हमे मालुम है मगर उस वक़्त ये मसअला ज़ेरे बहष नही है, आप जंग के लिये किसी को मैदान में भेजिये और गुफ्तगू खत्म फरमाये।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया की में हुज्जते खत्म करना चाहता हु ताकि इस जंग को दफा करने की तदाबिर में से मेरी तरफ से कोई तदबीर रह न जाए और जब तुम मजबूर करते हो तो ब मजबूरी व नाचारी मुझको तलवार उठाना ही पड़ेगी।
     ये गुफ्तगू हो ही रही थी की एक शख्स घोडा दौड़ा कर सामने आया (जिसका नाम मालिक बिन उर्वा था) जब उस ने देखा की लश्करे इमाम के गिर्द खन्दक में आग जल रही है और शोले बुलंद हो रहे है और इस तदबीर से अहले खैमा की हिफाज़त की जाती है तो उस गुस्ताखने हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه से कहा की ऐ हुसैन तुम ने वहा की आग से पहले यही आग लगा ली? हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया ऐ दुश्मने खुदा ! तू काजीब है। तुझे गुमान है की में दोज़ख में जाऊँगा ?
     मुस्लिम बिन औसजाرضي الله تعالي عنه को मालिक बिन उर्वा का ये कलिमा बहुत न गवार हुवा और उन्हों ने हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه से उस बद ज़बान के मुह पर तीर मारने की इजाज़त चाही। सब्रो तहम्मुल और तक़वा और रास्तबाज़ी और अदालत व इन्साफ का एक आदिमूल मिषाल मन्ज़र है की ऐसी हालत में जब की जंग के लिये मजबूर कीये गए थे। उस वक़्त भी अपने जज़्बात क़ब्ज़े में है तैश नहीं आता। फरमाते है : खबरदार ! मेरी तरफ से कोई जंग की इब्तिदा न करे ताकि इस खून रेजी का बवाल आदा ही की गर्दन पर रहे और हमारा दामन इक़दाम से आलूदा न हो।

     ये फरमा कर दस्ते दुआ दर्ज़ा फरमाए और बारगाहे इलाही में अर्ज़ किया...बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 139*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment