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Wednesday 26 October 2016

*सिरते मुस्तफा*
*_दसवा बाबा_* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुनाफ़िक़ीन की शरारत_* #01
     गज़्वाए मुरैसीअ में माले गनीमत के लालच में बहुत से मुनाफ़िक़ीन भी शरीक हो गए थे। एक दिन पानी लेने पर एक मुहाजिर और एक अंसारी में कुछ तकरार हो गई मुहाजिर ने बुलंद आवाज़ से "ऐ मुहाजिरों फरियाद है" और अन्सार ने " ऐ अन्सारियो फरियाद है" का नारा मारा, ये नारा सुनते ही अंसारीर व मुहाजिरिन दौड़ पड़े और इस क़दर बात बढ़ गई की आपस में जंग की नौबत आ गई।
     राईसुल मुनाफ़िक़ीन अब्दुल्लाह बिन उबय्य को शरारत का एक मौक़ा मिल गया उस ने इश्तिआल दिलाने के लिये अन्सारियो से कहा की "लो ! ये तो वही मिष्ल हुई की तुम अपने कुत्ते को फरबा करो ताकि वो तुम्ही को खा डाले"। तुम अन्सारियो ही ने इन मुहाजिरिन का हौसला बढ़ा दिया है लिहाज़ा अब इन मुहजीरिन की माली इम्दाद व मदद बिलकुल बंद कर दो ये लोग ज़लिलो ख्वार है और हम अन्सार इज़्ज़त दार है अगर हम मदीना पहुचे तो यक़ीनन हम इन ज़लील लोगो को मदीने से निकाल बाहर कर देंगे।
     हुज़ूरﷺ ने जब इस हंगामे का शोर सुना तो अंसारीर व मुहाजिरिन से फ़रमाया की क्या तुम लोग ज़मानए जाहिलिय्यत की नाराबाज़ी कर रहे हो ? जमाले नुबुव्वत देखते ही अन्सार व मुहाजिरिन बर्फ की तरह ठन्डे पड़ गए और रहमते आलमﷺ के चन्द फ़िक़रो ने महब्बत का ऐसा दरिया बहा दिया की फिर अन्सार व मुहाजिरिन शिरो शकर की तरह घुल मिल गए।

     जब अब्दुल्लाह बिन उबय्य की बेहूदा बात हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه के कान में पड़ी तो वो तैश में आ गए....
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 307*
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