Pages

Tuesday 18 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #41
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_​​हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत​​_* #02
     हज़रत ज़ैनुल आबेदीनرضي الله تعالي عنه ने अर्ज़ किया की मेरे भाई तो जां निषारि की सआदत पा चुके और हुज़ूर के सामने ही साकिये कौषर के आगोश में पहुचे, में तड़प रहा हु। मगर हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने कुछ पज़िराना फ़रमाया और इमाम ज़ैनुल आबेदीनرضي الله تعالي عنه को इन तमाम ज़िम्मेदारियों का हामिल किया और खुद जंग के लिये तैयार हुए, इमामرضي الله تعالي عنه मैदान जाने के लिये घोड़े पर सुवार हुए।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने अपने अहले बैत को तल्किने सब्र फ़रमाई। रिज़ाए इलाही पर साबिरो शाकिर रहने की हिदायत की और सब को सुपुर्दे खुदा करके मैदान की तरफ रुख किया, आप ने एक ख़ुत्बा फ़रमाया और इसमें हम्दो सलात के बाद फ़रमाया : ऐ क़ौम ! खुदा से डरो, जो सबका मालिक है, जान देना, जान लेना सब उसके कुदरत व इख़्तियार में है। अगर तुम ख़ुदावन्दे आलम पर यक़ीन रखते और मेरे हज़रते अम्बिया मुहम्मद मुस्तफाﷺ पर ईमान लाए हो तो डरो की क़यामत के दिन मीज़ाने अदल क़ाइम होगी, आमाल का हिसाब किया जाएगा, मेरे वालीदेन मेहशर में अपनी आल के बे गुनाह खुनो का मुतालबा करेगे। हुज़ूरﷺ जिन की शफ़ाअत गुनाहगारो की मग्फिरत का ज़रिया है और तमाम मुसलमान जिनकी शफ़ाअत के उम्मीद वार है वो तुम से मेरे और मेरे जानिषारो के खूने नाहक़ का बदला चाहेंगे, खबरदार हो जाओ की ऐशे दुन्या में पाएदारी व क़याम नही, अगर सल्तनत की तमअ में मेरे दरपै आज़ार हो तो मुझे मौक़ा दो की में अरब छोड़ कर दुन्या के किसी और हिस्से में चला जाऊ। अगर ये कुछ मंज़ूर न हो और अपनी हरकात से बाज़ न आओ तो हम अल्लाह के हुक्म और उसकी मर्ज़ी पर साबिर व शाकिर है।

     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की ज़बान से ये कलिमात सुन कर कुफियो में से बहुत लोग रो पड़े, बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 165*
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment