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Sunday 9 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_*
*_हज़रते इमामे हुसैन की कूफा को रवानगी_* #01
     हज़रते इब्ने अब्बास, इब्ने उमर, जाबिर, अबू सईद खुदरी, अबू वाक़ीद लैषी और दूसरे सहाबए किराम आपرضي الله تعالي عنه को रोकने में बहुत मुसिर थे और आखिर तक वो यही कोशिश करते रहे की आप मक्का से तशरीफ़ न ले जाए, लेकिन ये कोशिश कार आमद न हुई और हज़रते इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه ने 3 ज़िल हिज्जा सी. 60 ही. को अपने अहलो अयाल व खुद्दाम कुल 82 लोगो को हमराह ले कर राहे इराक़ इख़्तियार की।
     मक्का से अहले बैते रिसालत का ये छोटा सा क़ाफ़िला रवाना होता है और दुन्या से सफर करने वाले बैतुल्लाहुल हराम का आखरी तवाफ़ कर के मगमुम कर दिया, मक्का का बच्चा बच्चा अहले बैत के इस काफिले को हरम शरीफ से रुख्सत होता देख कर आबदीदा और मगमुम हो रहा था मगर वो ज़ाबाज़ो के मीरे लश्कर और फिदाकारो के क़ाफ़िला सालार मर्दाना हिम्मत के साथ रवाना हुए।
     राह में जाते अर्क़ के मक़ाम पर बशीर इब्ने ग़ालिब असदि कुफासे आते मिले। हज़रते इमाम ने उन से अहले इराक़ का हाल पूछा, अर्ज़ किया की उन के कुलूब आप के साथ है और तलवारे बनी उमय्या के साथ और खुदा जो चाहता है करता है। हज़रते इमामرضي الله تعالي عنهने फ़रमाया सच है।
     आगे अब्दुल्लाह बिन मुतीअ से मुलाक़ात हुई। वो हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के बहुत दरपे हुए की आप इस सफर को तर्क फरमाए और इस में उन्होंने अंदेशे ज़ाहिर किये। हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया हमे वही मुसीबत पहुच सकती है जो ख़ुदावन्दे आलम ने हमारे लिये मुक़र्रर फरमा दी।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 129*
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