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Friday 7 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_*
*_कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_*​​​​​​​​ #04
     अगर मुस्लिम बिन अक़ीलرضي الله تعالي عنه हमला करने का हुक्म देते तो उसी वक़्त किल्ला फ़त्ह पाता और इब्ने ज़ियाद और उस के हमराही हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه के हाथ में गिरफ्तार होते और येही लश्कर सैलाब की तरह उमड़ कर शामियो को ताख्त व ताराज कर डालता और यज़ीद को जान बचाने के लिये कोई राह न मिलती।
     नकाशा तो यही जमा था मगर बन्दों का सोचा क्या होता है। हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه ने किल्ले का इहाता तो लार लिया और बा वुजूद ये की कुफियो की बदअहदी और इब्ने ज़ियाद की फरेबकारी और यज़ीद की अदावत पुरे तौर पर षाबित हो चुकी थी। फिर भी आप ने अपने लश्कर को हमले का हुक्म न दिया और एक बादशाह दाद गुस्तर के नायब की हेशिय्यत से आपने इन्तिज़ार फ़रमाया की पहले गुफ्तगू से कतए हुज्जत कर लिया जाए और सुलह की सूरत पैदा हो सके तो मुसलमानो में खून रेज़ी न होने दी जाए।
     आप अपने इस पाक इरादे से इंतज़ार में रहे और अपनी एहतियात को हाथ से जाने न दिया, दुश्मन ने इस वक्फे से फायदा उठाया और कूफा के रऊसा व अमाइद जिन को इब्ने ज़ियाद ने पहले से किल्ले में बंद कर रखा था इन्हें मजबूर किया की वो अपने रिश्तेदारो और ज़ेरे अशर लोगो को मजबूर कर के हज़रते मुस्लिम की जमाअत से अलाहिदा कर दे।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 122*
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