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Friday 7 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_*
*_कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी​​​​​​​​​​_* #05
     ये लोग इब्ने ज़ियाद के हाथ में क़ैद थे और जानते थे की अगर इब्ने ज़ियाद को शिकस्त भी हुई तो वो किल्ला फ़त्ह होने तक इन का खातिमा कर देगा। इस खौफ से वो घबरा कर उठे और उन्होंने दीवारे किल्ला पर चढ़ कर अपने मुतअल्लीकीन व मुतवस्सिलिन से गुफ्तगू की और उन्हें हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه की रफ़ाक़त छोड़ देने पर इन्तिहाई दर्जे का ज़ोर दिया और बताया की इलावा इस बात के की हुकूमत तुम्हारी दुश्मन हो जाएगी यज़ीदे नापाक तुम्हारे बच्चों को क़त्ल कर डालेगा, तुम्हारे माल लुटवा देगा, तुम्हारी जागीर व मकानात ज़ब्त हो जाएगे। ये और मुसीबत है की अगर तुम इमाम मुस्लिम के हाथ रहे तो हम जो इब्ने ज़ियाद के हाथ में क़ैद है किल्ले के अंदर मारे जाएगे, हमारे हाल पर रहम करो, अपने घरो पर चले जाओ।
     ये हिला कामयाब हुवा और हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه का लश्कर मुन्तशिर होने लगा यहाँ तक की ता बवक़्ते शाम हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه ने मस्जिदे कूफा में जिस वक़्त मगरिब की नमाज़ शुरू की तो आप के साथ 500 आदमी थे और जब आप नमाज़ से फरीक हुए तो आपके साथ एक भी न था। तमन्नाओ के इज़हार और इलतीजाओ के तुमार से जिस अज़ीज़ मेहमान को बुलाया था उस के साथ ये वफ़ा है की वो तन्हा है और इन की रफ़ाक़त के लिये कोई भी मौजूद नही।
     कूफा वालो ने हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه को छोड़ने से पहले गैरत व हमिय्यत से कतए तअल्लुक़ किया और उन्हें ज़रा परवाह न हुई की क़यामत तक तमाम आलम में उनकी बे हिम्मती का शोहरा रहेगा और इस बुज़दिलाना बे मुरव्वती और नामर्दी से वो रुस्वाए आलम होंगे।
     हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه इस गुर्बत व मुसाफरत में तन्हा रह गए।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 123*
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