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Saturday 15 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #33
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #13
     हूर के साथ उसके भाई और गुलाम ने भी नौबत बी नौबत दादे शुजाअत दे कर अपनी जाने अहले बैत पर क़ुरबान की। 50 से ज्यादा आदमी शहीद हो चुके अब सिर्फ ख़ानदाने अहले बैत बाक़ी है और दुश्मनाने इस्लाम की इन्ही पर नज़र है। ये हज़रात परवाना वार हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه पर निषार है। ये बात भी काबिले लिहाज़ है की इमामे आली मक़ाम के इस छोटे से लश्कर में से इस मुसीबत के वक़्त में किसी ने भी हिम्मत न हारी, साथियो में से एक भी ऐसा न था जो अपनी जान ले कर भागता या दुश्मनो की पनाह चाहता।
     अब तक नियाज़ मन्दो ने दुश्मनो को खाको खून में लिटा कर अपनी बहादुरी के गुलगुले दिखाए थे अब असदुल्लाह के शेराने हक़ का मौक़ा आया और अली मुर्तज़ा के खानदान के बहादुरो के घोड़ो ने मैदाने कर्बला को जोला निगाह बनाया। इन हज़रत का मैदान में आना था की बहादुरो के दिल सिनो में लरज़ने लगे और इनके हमलो से शेर दिल बहादुर चीख उठे, बनी हाशिम की नबर्द आज़माइ और जां शिकार हमलो ने कर्बला की तीशना लब ज़मीन को दुश्मनो के खून से सैराब कर दिया और खुश्क रेगिस्तान सुर्ख नज़र आने लगा।
     ख़ानदाने इमामرضي الله تعالي عنه के नौजवान अपने अपने जोहर दिखा कर इमामे आली मक़ामرضي الله تعالي عنه पर जान कुर्बान करते चले जा रहे थे। खैमो से चलते थे तो *बल्कि वो अपने रब के पास ज़िन्दा है* (पारह 4) के चमनिस्तान की दिलकश फ़ज़ा उनकी आँखों के सामने होती थी, मैदाने कर्बला की राह से उस मंज़िल तक पहुचना चाहते थे।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 151*
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