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Monday 17 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #39
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #19
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के छोटे फ़रज़न्द अली असगर जो अभी कमसिन है, शिरख्वार है, प्यास से बेताब है, शिद्दते तिशनगी से तड़प रहे है, माँ का दूध खुश्क हो गया है, इस छोटे बच्चे की खुश्क नन्ही ज़बान बाहर आती है, बे चैनी में हाथ पाउ मारते है और पेच खा खा कर रह जाते है, कभी माँ की तरफ देखते है और इनको सुखी ज़बान दिखलाते है, कभी बाप की तरफ इशारा करता है वो जानता था की हर चीज़ ये ला कर दिया करते थे।
     छोटे बच्चे की बेताबी देखि न गई। वालीदाने हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه से अर्ज़ किया : इस नन्ही सी जान की बेताबी देखि नही जाती। इस को गोद में ले जाइये और इसका हाल जालिमो को दिखाये। इस पर तो रहम आएगा। इस को तो चन्द क़तरे दे देंगे। ये न जंग करने के लाइक़ है न मैदान के लाइक़ है। इससे क्या अदावत हैं।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه इस छोटे नुरे नज़र को सीने से लगा कर दुश्मनो के सामने पहुचे और फ़रमाया की अपना तमाम तो तुम्हारी बे रहमी और जोरो जफ़ा के नज़र कर चूका और अब अगर आतशे बुग्ज़ो इनाद जोश पर है तो इस के लिये में हु। ये शिरख्वार बच्चा प्यास से दम तोड़ रहा है इस की बे ताबी देखो और कुछ रहम करो जसका हल्क़ तर करने को *एक घुट* पानी दो।
     उन संगदीलो पर इसका कुछ अशर न हुवा और उन को ज़रा रहम न आया। बजाए पानी के एक बद बख्त ने तीर मारा जो अली असगरرضي الله تعالي عنه का हल्क़ छेदता हुवा इमाम के बाज़ू में बैठ गया। इमामرضي الله تعالي عنه ने वो तीर खीचा, बच्चे ने तड़प के जान दी, बाप की गोद से एक नूर का पुतला लिपटा हुवा है, खून में नहा रहा है, अहले खैमा को गुमान है की सियाह दिलाने बे रहम इस बच्चे को ज़रूर पानी दे देगा लेकिन जब इमाम बच्चे को खेमे में लाए और उसकी वालिदा ने देखा की बे करारी नही है, गुमान हुवा की पानी दे दिया होगा। हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : ये भी साकिए कौषर में जामे रहमत व करम से सैराब होने के लिये अपने भाइयो से जा मिला, अल्लाह ने हमारी ये छोटी कुर्बानी भी क़बूल फ़रमाई।
     रिज़ा व तस्लीम की इम्तिहान गाह में इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه और उन के मुतवस्सिलिन ने वो षाबित कदमी दिखाई की आलमें मलाइका भी हैरत में आ गये होंगे। *मुझे मालुम है जो तुम नही जानते* (पारह,1) का राज़ इन पर मुन्काशिफ् हो गया होगा।
*✍🏽सवानहे कर्बला, 161*
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