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Saturday 15 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #31
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #11
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की इजाज़त पा कर हुर बिन यज़ीद मैदान की तरफ रवाना हुवा, घोडा चमका कर सफे आदा पर पंहुचा, हूर के भाई मुसअब् बिन यज़ीद ने देखा की हूर ने दौलते सआदत पाई और नेमते आख़िरत से और हीर्से दुन्या से उसका दामन पाक हुवा, उसके दिल में भी वलवला उठा और बाग़ उठा कर घोडा दौड़ाता हुवा चला।
     अम्र बिन साद के लश्कर को गुमान हुवा की भाई के मुक़ाबले के लिये जाता है। जब मैदान में पंहुचा, भाई से कहने लगा : भाई तू मेरे लिये खिज़्रे राह हो गया और मुझे तूने सख्त अज़ाब से नजात दिलाई, में भी तेरे साथ हु और रफ़ाक़ते हज़रते इमाम की सआदत हासिल करना चाहता हु।
    लश्करे यज़ीद को इस वाक़या से निहायत हैरानी हुई। ये वाक़ीए देख कर अम्र बिन साद के बदन पर लरज़ा पड़ गया और वो घबरा उठा और उस ने एक शख्स को मुन्तख़ब कर के उसको कहा की समजा बुझा कर हूर को अपने मुवाफ़िक़ करने की कोशिश करे और अपनी चालबाज़ी और फरेबकारी इन्तिहा को पहुचा दे। फिर भी नाकामी हो तो उसका सर काट कर ले आए।
     वो शख्स चला और हूर से आ कर कहने लगा ऐ हूर ! तेरी अक़्ल व दानाई पर हम फख्र किया करते थे मगर आज तूने कमाले नादानी की, की इस लश्कर से निकल कर यज़ीद के इनआम व इकराम पर ठोकर मार कर चन्द बेक्स मुसाफिरों का साथ दिया जिन के साथ खाने को एक टुकड़ा और पिने को एक क़तरा भी नही है, तेरी इस नादानी पर अफ़सोस आता है।
     हूर ने कहा : ऐ बे अक़्ल तुझे अपनी नादानी पर रंज करना चाहिए की तूने ताहिर को छोड़ कर नजिस को क़बूल किया और दौलत बाक़ी के मुक़ाबले में दुन्या फानी है, हुज़ूरﷺ ने इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه को अपना फुल फ़रमाया है। में इस गुलिस्ताने रिसालत जान कुर्बान करने की तमन्ना रखता हु, *रिज़ाए रसूल से बढ़कर कौनैन में कौन सी दौलत है।* कहने लगा : ऐ हूर ये तो में भी खूब जानता हु लेकिन हम लोग सिपाही है और आज दौलत व माल यज़ीद के पास है। हूर ने कहा : ऐ कम हिम्मत ! इस हौसले पर लानत।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 149*
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