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Wednesday 12 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #24
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #04
     एक शख्स मुज़नी ने इमामرضي الله تعالي عنه के सामने आ कर कहा की ऐ इमाम देखो तो दरयाए फुरात केसा मौज़े मार रहा है। खुदा की क़सम खा कर कहता हु तुम्हे इस का एक क़तरा न मिलेगा और तुम प्यासे हलाक हो जाओगे।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने उस के हक़ में फ़रमाया : या रब इसको प्यासा मार, इमामرضي الله تعالي عنه का ये फरमाना था की मुज़नी का घोडा चमका, मुज़नी गिरा, घोडा भागा और मुज़नी उस को पकड़ने के लिये उस के पीछे दौड़ा और प्यास उस पर ग़ालिब हुई, इस शिद्दत की ग़ालिब हुई की اَلْعَطَشُ اَلْعَطَشُ पुकारता था और जब पानी उस के मुह से लगाते थे तो एक क़तरा न पी सकता था यहाँ तक की इसी शिद्दते प्यास में मर गया।
     फरज़न्दे रसूलﷺ को ये बात भी दिखा देना थी की इन की मक़बूलिय्यते बारगाहे हक़ पर और उन के कुर्ब व मन्ज़िलत पर जैसी की अहादिशे शाहिरा शहीद है ऐसे ही उन के ख्वारिक व करामात भी गवाह है। अपने इस फ़ज़्ल का अमली इज़हार भी इत्मामे हुज्जत के सिलसिले की एक कड़ी थी की अगर तुम आँख रखते हो तो देख लो की जो ऐसा मुस्तजाबुद्दा'वात है उसके मुक़ाबले में आना खुदा से जंग करना है इस का अंजाम सोच लो और बाज़ रहो।
     मगर शरारत के मुजस्स्मे इससे भी सबक़ न ले सके और दुन्याए ना पाएदार की हिर्स का भुत जो उनके सरो पर सुवार था उस ने उन्हें अंधा बना दिया और नेज़े बाज़ लश्कर से निकल कर रज्ज़ ख्वानी करते हुए मैदान में आ कूदे और तकब्बुर व तबख़्तूर के साथ इतराते हुए घोड़े दौड़ा कर और हथियार चमका कर इमामرضي الله تعالي عنه से मुबारीज़ के तालिब हुए।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 139*
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