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Friday 21 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #46
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_​​हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत​​_* #07
     इस वाक़ीए से हुज़ूरﷺ को जो रंज पहुचा और कल्बे मुबारक को जो सदमा हुवा अंदाज़ा और कियास से बाहर है। इमाम अहमद व बेहक़ी ने हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه से रिवायत की, एक रोज़ में दीपहर के वक़्त हुज़ूरे अक़दसﷺ की ज़ियारत से ख्वाब में मुशर्रफ हुवा। मेने देखा की सुम्बुल मुअम्बर व गैसुए मुअत्तर बिखरे हुए और गुबार आलूदा है, दस्ते मुबारक में एक खून भरा शीशा है। ये हालत देख कर दिल बे चैन हो गया, में ने अर्ज़ किया : ऐ आक़ा ! ये क्या हाल है ? फ़रमाया हुसैन और उन के रफ़ीक़ो का खून है, में इसे आज सुब्ह से उठाता रहा हु। हज़रते अब्बअसرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाते है : मेने उस तारीख व वक़्त को याद रखा जब खबर आई तो मालुम हुवा की हज़रते इमाम उसी वक़्त शहीद किये गए।
*✍🏽इमाम अहमद बिन हम्बल, 1/606*

     हज़रते उम्मे सलमाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है, उन्हों ने भी इसी तरह हुज़ूरﷺ को ख्वाब में देखा की आप के सरे मुबारक व रिशे अक़दस पर गुर्दो गुबार है, अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! ये क्या हाल है? फ़रमाया अभी इमामे हुसैन के मक़्तल में गया था।
*✍🏽बाहीक, 7/48*

     बेहक़ी व अबू नुएम ने बसरा अज़दिया से रिवायत की, की जब हज़रते इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه शहीद किये गए तो आसमान से खून बरसा। सुब्ह को हमारे मटके, घड़े और तमाम बर्तन खून से भरे हुए थे।
*✍🏽बेहक़ी, 6/471*
*✍🏽सवानहे कर्बला, 172*
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