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Tuesday 18 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #42
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_​​हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत​​_* #03
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की ज़बान से ये कलिमात सुन कर कुफियो में से बहुत लोग रो पड़े, दिल सब के जानते थे की वो बर सरे ज़ुल्मो जफ़ा है और हिमायते बातिल के लिये उन्हों ने दारैन की रुसियाही इख़्तियार की है और ये भी सब को यक़ीन था की इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه हक़ पर है। आप की बात से बहुत से लोगो पर अशर हुवा और ज़ालिमाने बद बातिन ने भी एक लम्हे के लिये जससे अशर लिया।
     लेकिन शिमर वगैरा बद सीरत व पलीद कुछ मुतअस्सिर न हुए बल्कि ये देख कर की लशकरियो पर हज़रते इमाम की तक़रीर का कुछ अशर मालुम होता है, कहने लगे की आप किस्से कोताह कीजिये और इब्ने ज़ियाद के पास चल कर यज़ीद की बैअत कर लीजिये तो कोई आप से तारूज़ न करेगा वरना बजुज़ जंग के कोई चारा नही है।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه को अंजाम मालुम था लेकिन ये तक़रीर इक़ामते हुज्जत के लिये फ़रमाई थी की उन्हें कोई उज़्र बाक़ी न रहे। हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने इत्मीनान फ़रमाया की इनके लिये कोई उज़्र बाक़ी न रहा और वो किसी तरह खूने नाहक व ज़ुल्मे बे निहायत से बाज़ आने वाले नही तो इमाम ने फ़रमाया की तुम जो इरादा रखते हो पूरा करो और जिस को मेरे मुक़ाबले के लिये भेजना चाहते हो भेजो।
     मसहूर बहादुर जिन को सख्त वक़्त के लिये महफूज़ रखा गया था मैदान में भेजे गए। एक बे हया तलवार चमकाता आता है, आते ही हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की तरफ तलवार खिचता है, अभी हाथ उठा ही था की इमाम ने ज़र्ब फ़रमाई, सर कट कर दूर जा पड़ा और गुरूरे शुजाअत ख़ाक में मिल गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 166*
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