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Wednesday 5 October 2016

सवानहे कर्बला​​

#06
​بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ​
​اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ​

*_​इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते​_* #02
     अगर्चे इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه की शहादत की खबर मसहूर थी और कुफियो की बे वफाई का पहले भी तजिरबा हो चूका था मगर जब यज़ीद बादशाह बन गया और उस की हुकूमत व सल्तनत दिन के लिये खतरा थी और इस वजह से उस की बैअत न रवा थी और वो तरह तरह की तदबिरो और हिलो से चाहता था की लोग उस की बैअत करे।
     इन हालात में कुफियो का बपासे मिल्लत यज़ीद की बैअत से दस्तकशि करना और हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه से तालिबे बैअत होना इमाम पर लाज़िम करता था इन की दरख्वास्त क़बूल फरमाए जब एक क़ौम ज़ालिम व फ़ासिक़ की बैअत पर राज़ी न हो और साहिबे इस्तिहक़ाक़ अहल से दरख्वास्ते बैअत करे इस पर अगर वो इनकी इस्तीदआ क़बूल न करे तो इस के ये माना होते है की वो इस क़ौम को इस जाबिर ही के हवाले करना चाहता है।
     इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه अगर उस वक़्त कुफियो की दरख्वास्त क़बूल न फरमाते तो बारगाहे इलाहि में कुफियो के इस मुतालबे का इमाम के पास क्या जवाब होता की हम हर चन्द दरपे हुए मगर इमाम हुसैनرضي الله تعالي عنه बैअत के लिये राज़ी न हुए। यही वजह हमे यज़ीद के जुल्मो तशद्दुद से मजबूर हो कर उसकी बैअत करनी पड़ी अगर इमाम हाथ बढ़ाते तो हम इन पर जाने फ़िदा करने के लिये हाज़िर थे। ये मसअला ऐसा दरपेश आया जिस का हल बजुज़ इस के और कुछ न था की हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه उन की दावत पर लबैक फरमाए।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 116*
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