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Tuesday 4 October 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान*

#52
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑤⑤_*
और जब तुमने कहा ऐ मूसा हम हरगिज़ (कदाचित) तुम्हारा यक़ीन न लाएंगे जब तक खुले बन्दों ख़ुदा को न देख लें तो तुम्हें कड़क ने आ लिया और तुम देख रहे थे

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑤⑥_*
फिर मेरे पीछे हमने तुम्हें ज़िन्दा किया कि कहीं तुम एहसान मानो

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑤⑦_*
और हमने बादल को तुम्हारा सायबान किया(14)
और तुमपर मत्र और सलवा उतारा, खाओ हमारी दी हुई सुथरी चीज़ें(15)
ओर उन्होंने कुछ हमारा न बिगाड़ा, हां अपनी ही जानों का बिगाड़ करते थे

*तफ़सीर*
     (14) जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फ़ारिग़ होकर बनी इस्राईल के लश्कर में पहुंचे और आपने उन्हें अल्लाह का हुक्म सुनाया कि मुल्के शाम हज़रत इब्राहीम और उनकी औलाद का मदफ़न (अन्तिम आश्रय स्थल) है, उसी में बैतुल मक़दिस है. उसको अमालिक़ा से आज़ाद कराने के लिए जिहाद करो और मिस्र छोड़कर वहीं अपना वतन बनाओं।
     मिस्र का छोड़ना बनी इस्राईल पर बड़ा भारी था. पहले तो वो काफ़ी आगे पीछे हुए और जब अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ अल्लाह के हुक्म से मजबूर होकर हज़रत हारून और हज़रत मूसा के साथ रवाना हुए तो रास्ते में जो कठिनाई पेश आती, हज़रत मूसा से शिकायत करते. जब उस सहरा (मरूस्थल) में पहुंचे जहां हरियाली थी न छाया, न ग़ल्ला साथ था. वहां धूप की तेज़ी और भूख की शिकायत की. अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा की दुआ से सफ़ेद बादल को उनके सरों पर छा दिया जो दिन भर उनके साथ चलता. रात को उनके लिए प्रकाश का एक सुतून (स्तम्भ) उतरता जिसकी रौशनी में काम करते. उनके कपड़े मैले और पुराने न होते, नाख़ुन और बाल न बढ़ते, उस सफ़र में जो बच्चा पैदा होता उसका लिबास उसके साथ पैदा होता, जितना वह बढ़ता, लिबास भी बढ़ता.
     (15) मन्न, तरंजबीन (दलिया) की तरह एक मीठी चीज़ थी, रोज़ाना सुब्ह पौ फटे सूरज निकलने तक हर आदमी के लिये एक साअ के बराबर आसमान से उतरती. लोग उसको चादरों में लेकर दिन भर खाते रहते. सलवा एक छोटी चिड़िया होती है. उसको हवा लाती. ये शिकार करके खाते. दोनों चीज़ें शनिवार को बिल्कुल न आतीं, बाक़ी हर रोज़ पहुंचतीं. शुक्रवार को और दिनों से दुगुनी आतीं. हुक्म यह था कि शुक्रवार को शनिवार के लिये भी ज़रूरत के अनुसार जमा कर लो मगर एक दिन से ज़्यादा का न जमा करो.
     बनी इस्राईल ने इन नेअमतों की नाशुक्री की. भंडार जमा किये, वो सड़ गए और आसमान से उनका उतरना बंद हो गया. यह उन्होंने अपना ही नुक़सान किया कि दुनिया में नेअमत से मेहरूम और आख़िरत में अज़ाब के हक़दार हुए.
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