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Sunday 2 October 2016

मुहर्रम कैसे मनाये

#05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_ताज्यादारी और उलमा ए एहले सुन्नत_*
     कुछ लोग समजते है की ताज्यादारी सुन्नियो का काम है और उससे रोकना, मना करना वहाबियों का काम है। जब की जबसे ये ताज्यादारी सुरु हुई है तबसे कोई भी जिम्मेदार सुन्नी उल्माने उसे अच्छा नहीं कहा।

     हिन्दुस्तान में वहाबियत से पहले के उलमा व बुज़ुर्ग हज़रत शाह अब्दुलअजीज मुहदिशे दहेल्वी फरमाते है : मुहर्रम के 10 दिनो में जो ताज्यादारी होती है वो सब नाजाइज़ है।
*✍🏽फतावा अजीजिया, 1/75*

     आला हज़रत जो इमामे एहले सुन्नत कहलाते है जिनका फतवा सारे जहा में माननीय है वो फरमाते है : आज कल ताज्यादारी वो नापसंदीदा तरीके का नाम है, जो बिदअत, नाजाइज़ और हराम है।
*✍🏽फतावा राज़वीययह, 24/513*

     जो कहते है ताज्या बनाना एहले सुन्नत का काम है वो आला हज़रत की किताबोका मुताअला करे, एक पूरी किताब आप ने इस बारे में लिखी है जिसका नाम है
*"आलिल इफ़ादा फि ताजियतील हिंद व बयाने शहादत"*

मुफ़्ती आजमे हिंद मौलाना शाह मुस्तफा रज़ाखा फरमाते है : ताज्यादारी शरीअत की बिना पर नाजायज़ है।
*✍🏽फतावा मुस्तफविय्यह, 534*

सदरूश्शरीअह हज़रत मौलाना अमजदअलि साहब फरमाते है : ये बिलकुल खुराफात है। इन सब से हज़रत सैयदना हुसैन की रूह खुश नहीं।
ये घटना तुम्हारे लिए नसीहत था और तुमने उसे खेल तमाशा बना लिया।
*✍🏽बहारे शरीअत, 16/248*
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