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Sunday 11 December 2016

*मिस्वाक के मदनी फूल*
*_मिस्वाक के बारे में दो अहादिसे मुबारका_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जब सरकारे मदीना ﷺ अपने मुबारक घर में दाखिल होते तो सब से पहले मिस्वाक करते।
     जब सरकारे नामदार ﷺ नींद से बेदार होते तो मिस्वाक करते।

*_दो फरमाने मुस्तफा_*
     2 रकअत मिस्वाक करके पढ़ना बगैर मिस्वाक की 70 रकअतो से अफ़्ज़ल है।
     मिस्वाक का इस्तिमाल अपने लिये लाज़िम करलो क्यू की ये मुह की सफाई और रब तआला की रिजा का सबब है

     हज़रते इब्ने अब्बास से रिवायत है की मिस्वाक में 10 खुबिया है : ये मुह साफ़ करती, मसूढ़े को मज़बूत बनाती है, बिनाई बढ़ाती, बलगम दूर करती है, मुह की बदबू खत्म करती, सुन्नत के मुवाफ़िक है, फ़रिश्ते खुश होते है, रब राज़ी होता है, नेकी बढ़ाती और मेदा दुरुस्त करती है।
*✍🏽जमउल जवामीअ-लिस्सुयुति, 5/239*
     सय्यिदुना इमाम शाफ़ेई फरमाते है : 4 चीज़े अक्ल बढ़ाती है : 1 फ़ुज़ूल बातो से परहेज़, 2 मिस्वाक का इस्तिमाल, 3 सुलहा यानी नेक लोगोकी सोहबत ,4 अपने इल्म पर अ'मल.
     मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी रहमतुल्लाह अलैह लिखते है : मशाईखे किराम फरमाते है : जो शख्स मिस्वाक का आदि हो मरते वक़्त उसे कलमा पढ़ना नसीब होगा और जो अफ्यून खाता हो मरते वक़्त उसे कालिमा नसीब न होगा।

     मिस्वाक पीलू या ज़ैतून या निम् वगैरा कड़वी लकड़ी की हो, मिस्वाक की मोटाई छुंगलिया यानि छोटी ऊँगली के बराबर हो, मिस्वाक एक बालिश्त से ज्यादा लम्बी न हो वरना उस पर शैतान बैठता है, इसके रेशे नरम हो के सख्त रेशे दातो और मशुढो के दरमियान खला (गेप) का बाइस बनते है, मिस्वाक ताज़ा हो तो खूब वरना इसका एक सिरा कुछ देर पानी के ग्लास में भिगो कर नरम कर लीजिये, मुनासिब है की इस के रेशे रोज़ाना काटते रहिये के रेशे उस वक़्त तक कारआमद रहते है जब तक उन्मे तल्खी बाकी रहे.

*_मिस्वाक का तरीका_*
     जब भी मिस्वाक करनी हो कम अज़ कम 3 बार कीजिये, हर बार धो लीजिये, मिस्वाक सीधे हाथ में इस तरह लीजिये की छोटी ऊँगली इस के निचे और बिच की 3 उंगलिया ऊपर और अंगूठा उसके निचे हो, पहले सीधी तरफ के ऊपर के दातो पर फिर उलटी तरफ के ऊपर के दातो पर, फिर सीधी तरफ निचे फिर उलटी तरफ निचे मिस्वाक कीजिये, मुठ्ठी बाँध कर मिस्वाक करने से बवासीर हो जाने का अन्देशा है, मिस्वाक वुज़ु की सुन्नते किबलिया है , अलबत्ता सुन्नते मोअक्कदा उसी वक़्त है जब के मुह में बदबू हो।
     मिस्वाक जब ना काबिले इस्तिमाल हो जाए तो फेके मत की ये आलए अदाए सुन्नत है, किसी जगह एहतियात से रख दे या दफन करदिजिये या पथ्थर वगैरा वजन बांध कर समंदर में डूब दीजिये।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 62-67*
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