Pages

Thursday 1 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #91
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①①⑤_*
     और पूरब पश्चिम सब अल्लाह ही का है तो तुम जिधर मुंह करो उधर वज्हुल्लाह (ख़ुदा की रहमत तुम्हारी तरफ़ मुतवज्जेह)  है बेशक अल्लाह वुसअत (विस्तार) वाला इल्म वाला है

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①①⑥_*
     और बोले ख़ुदा ने अपने लिये औलाद रखी, पाकी है उसे (9)
बल्कि उसीकी मिल्क (संपत्ति) है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है (10)
सब उसके हुज़ूर (प्रत्यक्ष) गर्दन डाले है

*तफ़सीर*
     (9) यहूदियों ने हज़रत उज़ैर को और ईसाईयों ने हज़रत मसीह को ख़ुदा का बेटा कहा. अरब के मुश्रिकीन ने फ़रिश्तों को ख़ुदा की बेटियाँ बताया. उनके रद में यह आयत उतरी. फ़रमाया “सुब्हानहू” वह पाक है इससे कि उसके औलाद हो. उसकी तरफ़ औलाद की निस्बत करना उसको ऐब लगाना और बेअदबी है. हदीस में है कि अल्लाह तआला फ़रमाता है इब्ने आदम ने मुझे गाली दी, मेरे लिये औलाद बताई. मैं औलाद और बीवी से पाक हूँ.
     (10) और ममलूक होना औलाद होने के मनाफ़ी है. जब तमाम जगत उसका ममलूक है, तो कोई औलाद कैसे हो सकता है अगर कोई अपनी औलाद का मालिक हो जाए, वह उसी वक़्त आज़ाद हो जाएगी.
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment