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Friday 16 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #101
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③②_*
     अर्ज़ की वसीयत की इब्राहीम ने अपने बेटों को और यअक़ूब ने कि मेरे बेटो बेशक अल्लाह ने यह दीन तुम्हारे लिये चुन लिया तो न मरना मगर मुसलमान.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③③_*
     बल्कि तुम में के ख़ुद मौजूद थे (4)
जब यअक़ूब को मौत आई जबकि उसने अपने बेटों से फ़रमाया मेरे बाद किसकी पूजा करोगे बोले हम पूजेंगे उसे जो ख़ुदा है आपका  और आपके आबा (पूर्वज) इब्राहीम और इस्माईल (5)
और इस्हाक़ का एक ख़ुदा और हम  उसके हुज़ूर गर्दन रखे है.

*तफ़सीर*
     (4) यह आयत यहूदियों के बारे में नाज़िल हुई. उन्होंने कहा था कि हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम ने अपनी वफ़ात के रोज़ अपनी औलाद को यहूदी रहने की वसिय्यत की थी. अल्लाह तआला ने उनके इस झूठ के रद में यह आयत उतारी (ख़ाज़िन). मतलब यह कि ऐ बनी इस्राईल, तुम्हारे लोग हज़रत यअक़ूब अलैहिस्सलाम के आख़िरी वक़्त उनके पास मौजूद थे, जिस वक़्त उन्होंने अपने बेटों को बुलाकर उनसे इस्लाम और तौहीद यानी अल्लाह के एक होने का इक़रार लिया था और यह इक़रार लिया था जो इस आयत में बताया गया है.
     (5)  हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को हज़रत यअक़ूब के पूर्वजों में दाख़िल करना तो इसलिये है कि आप उनके चचा हैं और चचा बाप बराबर होता है. जैसा कि हदीस शरीफ़ में है. और आपका नाम हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम से पहले ज़िक्र फ़रमाना दो वजह से है, एक तो यह कि आप हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम से चौदह साल बड़े हैं, दूसरे इसलिये कि आप सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के पूर्वज हैं.
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