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Sunday 18 December 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_आयते तयम्मुम का नुज़ूल_*
     इब्ने अब्दुल बर व इब्ने साद व इब्ने हब्बान वगैरा मुहद्दीशिन व उल्माए सीरत का क़ौल है की तयम्मुम की आयत गज़्वाए मुरैसीअ में नाज़िल हुई मगर रौज़तुल अहबाब में लिखा है की आयत तयम्मुम किसी दूसरे गज़्वे में उतरी।
     बुखारी शरीफ में आयते तयम्मुम की शाने नुज़ूल जो मज़कूर है वो ये है की हज़रते बीबी आइशाرضي الله تعالي عنها का बयान है की हम लोग हुज़ूरﷺ के साथ एक सफर में थे जब हम लोग मक़ामे "बैदाअ" या मक़ामे "जातुल जैश" में पहुचे तो मेरा हार टूट कर कही गिर गया हुज़ूरﷺ और कुछ लोग उस हार की तलाश में वहा ठहर गए और वहा पानी नही था तो कुछ लोगो ने हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه के पास आ कर शिकायत की, की क्या आप देखते नही की हज़रते आइशा ने क्या किया ? हुज़ूरﷺ और सहाबा को यहाँ ठहरा लिया है हाला की यहाँ पानी मौजूद नही है, ये सुन कर हज़रते अबू बक्रرضي الله تعالي عنه मेरे पास आए और जो कुछ खुदा ने चाहा उन्हों ने मुझ को (सख्त व सुस्त) कहा और फिर (गुस्से में) अपने हाथ से मेरी कोख में कोचा मारने लगे उस वक़्त रसूलुल्लाहﷺ मेरी रान पर अपना सरे मुबारक रख कर आराम फरमा रहे थे इस वजह से (मार खाने के बावुजूद) में हिल नही सकती थी सुब्ह को जब रसूलुल्लाहﷺ बेदार हुए तो वहा कही पानी मौजूद ही नही था ना गहा हुज़ूरﷺ पर तयम्मुम की आयत नाज़िल हो गई।
     चुनांचे हुज़ूरﷺ और तमाम असहाब ने तयम्मुम किया और नमाज़े फज्र अदा की इस मौके पर हज़रते उसैद बिन हुज़ैरرضي الله تعالي عنه ने (खुश हो कर) कहा की ऐ अबू बक्र की आल ! ये तुम्हारी पहली ही बरकत नही है। फिर हम लोगो ने ऊंट को उठाया तो उस के निचे हम ने हार को पा लिया।
*✍🏽बुखारी, 1/48*
     इस हदिष में किसी गज़्वे का नाम नही है मगर शारेहे बुखारी हज़रते अल्लामा इब्ने हजर अलैरहमा ने फ़रमाया की ये वाक़ीआ गज़्वाए बनी अल मुस्तलिक का है जिस का दूसरा नाम गज़्वाए मुरैसीअ भी है जिस में क़िस्साए इफ्क वाकेअ हुवा।
     इस गज़्वे में हुज़ूरﷺ 28 दिन मदीने से बाहर रहे।
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 321*
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