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Thursday 15 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #100
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③ⓞ_*
     और इब्राहीम के दीन से कौन मुंह फेरे (1)
सिवा उसके जो दिल का मूर्ख है और बेशक ज़रूर हम ने दुनिया में उसे चुन लिया (2)
और बेशक वह आख़िरत में हमारे ख़ास कुर्ब की योग्यता वालों में हैं (3)

*तफ़सीर*
     (1) यहूदी आलिमों में से हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम ने इस्लाम लाने के बाद अपने दो भतीजों मुहाजिर और सलमह को इस्लाम की तरफ़ बुलाया और उनसे फ़रमाया कि तुमको मालूम है कि अल्लाह तआला ने तौरात में फ़रमाया है कि मैं इस्माईल की औलाद से एक नबी पैदा करूंगा जिनका नाम अहमद होगा. जो उनपर ईमान लाएगा, राह पाएगा और जो उनपर ईमान न लाएगा, उसपर लअनत पड़ेगी. यह सुनकर सलमह ईमान ले आए और मुहाजिर ने इस्लाम से इन्कार कर दिया. इस पर अल्लाह तआला ने यह आयत नाज़िल फ़रमाकर ज़ाहिर कर दिया कि जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ख़ुद इस रसूले मुअज़्ज़म के भेजे जाने की दुआ फ़रमाई, तो जो उनके दीन से फिरे वह हज़रत इब्राहीम के दीन से फिरा. इसमें यहूदियों, ईसाईयों और अरब के मूर्ति पूजकों पर ऐतिराज़ है, जो अपने आपको बड़े गर्व से हज़रत इब्राहीम के साथ जोड़ते थे. जब उनके दीन से फिर गए तो शराफ़त कहाँ रही.
     (2) रिसालत और क़ु्र्बत के साथ रसूल और ख़लील यानी क़रीबी दोस्त बनाया.
     (3) जिनके लिये बलन्द दर्जे हैं. तो जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम दीन दुनिया दोनों की करामतों के मालिक हैं, तो उनकी तरीक़त यानी रास्ते से फिरने वाला ज़रूर नादान और मूर्ख है.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③①_*
जबकि उससे उसके रब ने फ़रमाया गर्दन रख, अर्ज़ की मैंने गर्दन रखी जो रब है सारे जहान का
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