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Tuesday 13 December 2016

*फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_क़दम क़दम हुज़ूरﷺ के साथ_*
     उम्मुल मोमिनीन हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها बहुत मालदार खातुन थी, अगर आप चाहती तो खूब आराम और सुकून से अपनी ज़िन्दगी के अय्याम बसर कर सकती थी लेकिन आप ने अपने सरताजﷺ की खातिर शाहाना अंदाज़ को ठुकरा कर अपनी सारी ज़िन्दगी हुज़ूर पुर नूरﷺ की खिदमत और तकालिफ् और मुसीबते बर्दाश्त करते हुवे गुज़ार दी, जो आप की प्यारे आक़ाﷺ से महब्बत की वाजेह दलील है।
     चुनांचे जब सरकारे अली वक़ारﷺ ने अल्लाह के हुक्म से ऐलाने नुबुव्वत फ़रमाया और खल्के खुदा को सिर्फ एक माबुदे हक़ीक़ी की इबादत की तरफ बुलाया तो आपﷺ की दावते इस्लाम को क़बूल करने के बजाए आप पर मसाइबो आलाम के पहाड़ तोड़े गए, राह में काटे बिछाए गए। ऐसे नाजुक और कठिन मराहिल में जिन हस्तियों ने हक़ की पुकार पर लबैक कहते हुवे सब से पहले आपﷺ की दावत क़बूल करने की सआदत पाई उन में से एक नुमाया नाम हज़रते खदीजतुल कुब्राرضي الله تعالي عنها का है। आपرضي الله تعالي عنها परवानो की तरह आप पर निसार होती रही और हर मुश्किल में आपﷺ का साथ दिया।
     हज़रते अल्लामा मुहम्मद बिन इस्हाक़ मदनी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है की सय्यिदे आलम जब भी कुफ़्फ़ार की जानिब से अपनी दिल शिकनी वाली कोई ना पसंदीदा बात सुन कर गमगीन होते, उस के बाद हज़रते खदीजाرضي الله تعالي عنها के पास तशरीफ़ लाते तो इन के ज़रिए अल्लाह आपﷺ की वो रंजो गम की केफिय्यत दूर फरमा देता।
*✍🏽फैज़ाने खदीजतुल कुब्रा, 16*
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