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Thursday 15 December 2016

*नमाज़ पर नूर या तारीकी के अस्बाब*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते उबादा बिन सामित رضي الله تعالي عنه से रिवायत हैं की हुज़ूर ﷺ का फरमाने आलिशान है, जो शख्स अच्छी तरह वुज़ू करे, फिर नमाज़ के लिये खड़ा हो, इसके रूकू, सुजूद और किरआत को मुकम्मल करे तो नमाज़ कहती है,
     अल्लाह तआला तेरी हिफाज़त करे जिस तरह तूने मेरी हिफाज़त की। फिर उस नमाज़ को आसमान की तरफ ले जाया जाता है और उस के लिये चमक और नूर होता है। पस उसके लिये आस्मां के दरवाज़े खोले जाते है हत्ता की उसे अल्लाह तआला की बारगाह में पेश किया जाता है और वो नमाज़ उस नमाज़ी की शफ़ाअत करती है,
     और अगर वो इस का रुकूअ, सुजूद और किरआत मुकम्मल न करे तो नमाज़ कहती है, अल्लाह तआला तुझे छोड़ दे जजस तरह तूने मुझे जाए किया।
     फिर उस नमाज़ को इस तरह आसमान की तरफ ले जाया जाता है की उस पर तारीकी छाई होती है और उस पर आसमान के दरवाज़े बंद कर दिये जाते है फिर उसको पुराने कपड़े की तरह लपेट कर उस नमाज़ी के मुह पर मारा जाता है।
*✍🏽कन्जुल अमाल, 7/129, हदिष:19049*

*_बुरे खतिमे का एक सबब_*
     हज़रते इमाम बुखारी अलैरहमा फरमाते है, हज़रते हुजैफा बिन यमान رضي الله تعالي عنه ने एक शख्स को देखा जो नमाज़ पढ़ते हुए रूकू और सुजूद पुरे अदा नहीं करता था। तो उस से फ़रमाया : तुम ने जो नमाज़ पढ़ी अगर इसी नमाज़ की हालत में इन्तिकाल कर जाओ तो हज़रत मुहम्मद मुस्तफाﷺ के तरीके पर तुम्हारी मौत वाकेअ नहीं होगी।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/112*

     सुनने नसाई की रिवायत में ये भी है की आप ने पूछा तुम कब से इस तरह नमाज़ पढ़ रहे हो ? उसने कहा 40 साल से. फ़रमाया : तुमने 40 साल से बिलकुल नमाज़ ही नहीं पढ़ी और अगर इसी हालत में तुम्हे मौत आ गई तो दिने मुहम्मदी पर नही मरोगे।
*✍🏽सुनने नसाई, 2/57*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, 146*
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