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Wednesday 14 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #99
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①②⑨_*
     ऐ रब हमारे और भेज उनमें (13)
एक रसूल उन्हीं में से कि उन्हें तेरी आयतें तिलावत फ़रमाए और उन्हें तेरी किताब (14)
और पुख़्ता (पायदार) इल्म सिखाए (15)
और उन्हें ख़ूब सुथरा फ़रमा दे (16)
बेशक तू ही है ग़ालिब हिक़मत वाला

*तफ़सीर*
     (13) यानी हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की ज़ुर्रियत में यह दुआ सैयदुल अम्बिया सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के लिये थी, यानी काबए मुअज़्ज़मा की तामीर की अज़ीम ख़िदमात बजा लाने के लिये और तौबह और प्रायश्चित करने के बाद हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल ने यह दुआ की, कि या रब, अपने मेहबूब नबीये आख़िरूज़्ज़माँ सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को हमारी नस्ल में प्रकट फ़रमा और यह बुज़ुर्गी हमें इनायत कर. यह दुआ क़ुबूल हुई और उन दोनों साहिबों की नस्ल में हुज़ूर के सिवा कोई नबी नहीं हुआ, औलादे हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम में बाक़ी तमाम नबी हज़रत इसहाक़ की नस्ल से हैं.
     सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अपना मीलाद शरीफ़ ख़ुद बयान किया. इमाम बग़वी ने एक हदीस रिवायत की, कि हुज़ूर ने फ़रमाया मैं अल्लाह तआला के नज़्दीक ख़ातिमुन नबिय्यीन लिखा हुआ था. उस वक़्त भी जब हज़रत आदम के पुतले का ख़मीर हो रहा था. मैं तुम्हें अपनी शुरूआत की ख़ूर दूँ. मैं इब्राहीम की दुआ हूँ. ईसा की ख़ुशख़बरी हूँ, अपनी वालिद के उस ख़्वाब की ताबीर हूँ जो उन्होंने मेरी पैदाइश के वक़्त देखा और उनके लिये एक चमकता नूर ज़ाहिर हुआ जिससे मुल्के शाम के महल उनके लिये रौशन हो गए.
     इस हदीस में इब्राहीम की दुआ से यही दुआ मुराद है जो इस आयत में दी गई है. अल्लाह तआला ने यह दुआ क़ुबूल फ़रमाई और आख़िर ज़माने में  हुज़ूर सैयदे अम्बिया मुहम्मदे मुरुतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को अपना आख़िरी रसूल बनाकर भेजा. यह हम पर अल्लाह का एहसान है. (जुमल व ख़ाज़िन)
     (14) इस किताब से क़ुरआने पाक और इसकी तालीम से इसकी हक़ीक़तों और मानी का सीखना मुराद है.
     (15) हिकमत के मानी में बहुत से अक़वाल हैं. कुछ के नज़्दीक हिकमत से फ़िक़्ह मुराद है. कतादा का कहना है कि हिकमत सुन्नत का नाम है. कुछ कहते हैं कि हिकमत अहकाम के इल्म को कहते हैं. खुलासा यह कि हिकमत रहस्यों की जानकारी का नाम है.
     (16) सुथरा करने के मानी यह हैं कि नफ़्स की तख़्ती और आत्मा को बुराईयों से पाक करके पर्दे उठा दें और क्षमता के दर्पण को चमका कर उन्हें इस क़ाबिल करदें कि उनमें हक़ीक़तों की झलक नज़र आने लगे.
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