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Saturday 3 December 2016

*फ़ज़ीलते ईदे मिलादुन्नबी* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*तौरेत में हुज़ूरﷺ का ज़िक्र पाक*_
     तौरेत अल्लाह ने अपने नबी हज़ारत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल फ़रमाई है, इस मुक़द्दस किताब में भी अल्लाह ने हुज़ूरﷺ की तारीफ़ (मिलाद बयान की है)
     एक सहाबी क़अबूल फरमाते है की मेने तौरेत में पढ़ा है के, "हुज़ूरﷺ गुस्सा न करेंगे, आप का दिल सख्त न होगा, आप बाजारमें कभी किसीको उची आवाज़ से न बुलाएंगे, बुराई का बदला बुराई से न देंगे, बल्कि मुआफ़ फरमा देंगे। आप की उम्मत अल्लाह का ज़िक्र करती रहेगी। वो हाथ, पाउ, मुह धो कर और सरका मसह करके वुज़ू करेंगे। उनके मोआज़्ज़िन अजाने देंगे। वो उची इमारतों पर, मीनारों पर खड़े हो कर खुदाकि तकबीर कहेंगे। उनकी खुबिया नमाज़ में और जंग में एक जेसी होगी। वो रातके वक़्त खुदा की इबादत करने खड़े होंगे।
     नबी आखिरुज़्ज़माﷺ मक्का में पैदा होंगे। मदीने में जाएंगे। आपकी हुक़ूमत मदीने से लेकर मुल्के शाम तक फेली हुई होगी। जान लो के ये मेरा बंदा मोहम्मद होगा। जिसका नाम मुतवक़्क़ल होगा। उसे उस वक़्त तक दुन्या से न उढ़ाऊँगा जब तक के सारे टेढ़े रास्ते उसके सच्चे दिन पर न आ जाएंगे और जूठे मजहब उसके सच्चे मजहब से सीधे न हो जाएंगे। ये इस तरहसे होगा के सारे इन्सानोको, जिन्नों को और खुदाकि सारी मख्लूक़ को एक सच्चे दिनकि दावत देगा। एक खुदा की तरफ बुलाएगा। उसकी दावत की बरकत ऐसी होगी के इसकी वजह से में उन आँखों को रौशनी दूंगा जो देख न सकती होगी, उदास दिलो को ख़ुशी दूंगा, दिल के अँधेरे दूर करूँगा और लोगो के सारे मुआमले सुलजा दूंगा।"
*✍🏽फ़ज़ीलते ईदे मिलादुन्नबी, 7*
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