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Saturday 31 December 2016

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #02

*_​​सुन्नी की तारीफ क्या है ?​​_* #02
      *सवाल :* कुछ लोग अहले सुन्नत व जमाअत के खिलाफ अक़ीदा रखते हुए भी अपने आप को सुन्नी कहते है ?

     *जवाब :* अल्लाह ने अपने बन्दों को दुआ की तालीम देते हुए यु फ़रमाया की, ऐ मेरे बन्दों ! जब नमाज़ पढ़ने के लिये खड़े हो तो मुझसे यु दुआ करो : *ऐ अल्लाह हमें सीधा रास्ता चला, रास्ता उन लोगो का, जिन पर तेरा इनआम हुआ* (सूरए फातिहा)
     आइये क़ुरआन से पूछे की इनआम पाने वाले कौन लोग है ? जिनके तरीके पर चलने की पाचो वक़्त अल्लाह से दुआ की जाती है। क़ुरआन का इरशाद है :
     *वो लोग, जिन पर अल्लाह ने इनआम किया वो अम्बिया ऐ किराम और सिद्दीक़ीन और शोहदा ऐ किराम और सालिहीन (औलिया अल्लाह) है।*
_पारह 5, रूकू, 5_

     ये चार जमाअते है, जिन पर अल्लाह ने इनआम फ़रमाया, ये नबियो, सिद्दिक़ो, शहीदों, औलिया अल्लाह की जमाअत है। हर मुसलमान अपनी नमाज़ में ये दुआ करता है। *ऐ अल्लाह ! मुझे उन पाक लोगो के नक्शे क़दम पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमा।*
     वो लोग जो (बनावटी सुन्नी) तो नमाज़ में वलियों की गुलामी की दुआ मांगते है, मगर जेसे ही सलाम फेरा फौरन इन्कार कर देते है। कहते है की : हम वलियों की ज़रूरत नही, उनके मज़ारों पर क्यू जाए वो मिट्टी का ढेर है, गौष व ख्वाजा के पास क्या रख्खा है ? तुम्ही नमाज़ की पाबन्दी करो ! गौष व ख्वाजा बन जाओगे ! वगैरा वगैरा।

     अलहम्दु लिल्लाह ! हम सुन्नी सहीहुल अक़ीदा नमाज़ में जो अल्लाह से दुआ मांगते है, नमाज़ के बाद भी उस दुआ पर कायम रहते है। सुन्नी की इस दुआ की क़बूलिय्यत की ये दलील है की, उन के हाथो में औलिया अल्लाह का दामन है।
अहले सुन्नत व जमाअत के खिलाफ जितनी भी जमाअते है उनमे अल्लामा, लीडर, डॉक्टर, इंजिनियर, प्रोफेसर वगैरा तो दिखा सकते हो। मगर उन में गौषे पाम, ख्वाजा गरीब नवाज़ नही दिखा सकते। आप को जो भी वली मिलेगा वो सुन्नियो ही में मिलेगा।
     जो सच्चा मज़हब होता है उसी में वली अल्लाह होते है। देखो ! जबसे हज़रते मूसा व हज़रते इसा अलैहिस्सलाम का दिन मनसुख (रद्द) हो गया तो कोई वली पैदा नही हुआ। आज भी दुन्या में यहूदी व नसरानी तो मौजूद है मगर उन में कोई वली नही। जब तक उनका दिन मनसुख नही हुआ था वली पैदा होते रहे और मनसुख होने के बाद वली होना बंद हो गया।
     इसी तरह आज जो मज़हब व मसलक सच्चा है उसी में वली पाये जाते है। अलहम्दु लिल्लाह ! रसूले आज़मﷺ सुन्नियो के हिस्से में आये, सिद्दीके आज़म, शहीदे आज़म, गौषे आज़म, ख्वाजा ऐ आज़म, मुजद्दिदे आज़म, मुफ्तिए आज़म, मोहद्दीसे आज़म सब अहले सुन्नत के हिस्से में आये।
        *खुदा के फ़ज़्ल से है हम पे साया गौषे आज़म का*
          *हमे दोनों जहां में है सहारा गौषे आज़म का*
            *किसी को जमाने की दौलत मिली है*
            *किसी को जहा की हुकूमत मिली है*
            *में अपने मुकद्दर पर क़ुरबान जाऊ*
            *मुझे गौष का आस्ताना मिला है*

*✍🏽​जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ​​, 4*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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