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Tuesday 27 December 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #16
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*​जंगे खन्दक*​ #01
     सि.5 हि. की तमाम लड़ाइयो में ये जंग सब से ज़्यादा मशहूर और फैसला कुन जंग है चुकी दुश्मनो से हिफाज़त के लिये शहरे मदीना के गिर्द खन्दक खोदी गई थी इस लिये ये लड़ाई "जंगे खन्दक" कहलाती है और चुकी तमाम कुफ़्फ़ारे अरब ने मुत्तहिद हो कर इस्लाम के खिलाफ ये जंग की थी इस लिये इस लड़ाई का दूसरा नाम "जंगे अहज़ाब" (तमाम जमाअतो की मुत्तहिदा जंग) है, क़ुरआन में इस लड़ाई का तज़किरए इसी नाम के साथ आया है।

*_जंगे खन्दक का सबब_*
     गुज़श्ता अवराक़ में हम ये लिख चुके है की "क़बिलए बनू नज़ीर" के यहूदी जब मदीने से निकाल दिये गए तो उन में से यहूदियो के चन्द रुअसा "खैबर" में जा कर आबाद हो गए और खैबर के यहूदियो ने उन लोगो का इतना ऐज़ाज़ों इकराम किया की सलाम बिन मशकम व इब्ने अबिल हुकैक व हुयय बिन अख्तब व किनाना बिन अर्रबिअ को अपना सरदार मान लिया ये लोग चुकी मुसलमानो के खिलाफ गैज़ो गज़ब में भरे हुए थे और इन्तिक़ाम की आग इन के सिनो में दहक रही थी इस लिये इन लोगो ने मदीने पर एक ज़बर दस्त हमले की स्किम बनाई।
     चुनांचे ये तीनो इस मक़सद के पेशे नज़र मक्का गए और कुफ़्फ़ारे कुरैश से मिल कर ये कहा की अगर तुम लोग हमारा साथ दो तो हम लोग मुसलमानो को सफहाए हस्ती से नेस्तो नाबूद कर सकते है। कुफ़्फ़ारे कुरैश तो इस के भूके ही थे फौरन ही उन लोगो ने यहूदियो की हा में हा मिला दी। कुफ़्फ़ारे कुरैश से साज़ बज़ कर लेने के बाद इन तीनो यहूदियो ने "क़बिलए बनू गफतन" का रुख किया और खैबर की आधी आमदनी देने का लालच दे कर उन लोगो को भी मुसलमानो के खिलाफ जंग के लिये आमादा कर लिया।
     फिर बनू गफतन ने अपने हलफ "बनू असद" को भी जंग के लिये तैयार कर लिया। इधर यहूदियो ने भी अपने हलफ "क़बिकाए बनू असअद" को भी अपना हमनवा बना लिया और कुफ़्फ़ारे कुरैश ने अपनी रिश्तेदारियों की बिना पर "क़बिलए बनू सुलैम" को भी अपने साथ मिला लिया।
     गर्ज़ इस तरह तमाम क़बाइले अरब के कुफ़्फ़ार ने मिलजुल कर एक लश्करे ज़र्रार तैयार कर लिया जिस की तादाद 10,000 थी और अबू सुफ़यान इस पुरे लश्कर का सिपह सालार बन गया।
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 323*
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