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Sunday 18 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #103
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③⑥_*
यूं कहो कि हम ईमान लाए अल्लाह पर और उसपर जो हमारी तरफ़ उतरा और जो उतारा गया इब्राहीम और इस्माईल व इस्हाक़ व यअक़ूब और उनकी औलाद जो प्रदान किये गए मूसा व ईसा और जो अता किये गए बाक़ि नबी अपने रब के पास से हम उन में किसी पर ईमान में फ़र्क़ नहीं करते और हम अल्लाह के हुज़ूर गर्दन रखे हैं.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①③⑦_*
फिर अगर वो भी यूंही ईमान लाए जैसा तुम लाए जब तो वो हिदायत पा गए और अगर मुंह फेरें तो वो निरी ज़िद में हैं (10)
तो ऐ मेहबूब शीघ्र ही अल्लाह उनकी तरफ़ से तुम्हें किफ़ायत करेगा (काफ़ी होगा) और वही हे सुनता जानता (11)

*तफ़सीर*
     (10) और उनमें सच्चाई तलाश करने की भावना नहीं.
     (11) यह अल्लाह की तरफ़ से ज़िम्मा है कि वह अपने हबीब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को ग़लबा अता फ़रमाएगा, और इस में ग़ैब की ख़बर है कि आयन्दा हासिल होने वाली विजय और कामयाबी को पहले से ज़ाहिर कर दिया. इसमेंनबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का चमत्कार है कि अल्लाह तआला का यह ज़िम्मा पूरा हुआ और यह ग़ैबी ख़बर सच हो कर रही. काफ़िरों के हसद, दुश्मनी और उनकी शरारतों से हुज़ूर को नुक़सान न पहुंचा. हुज़ुर की फ़तह हुई. बनी क़ुरैज़ा क़त्ल हुए. बनी नुज़ैर वतन से निकाले गए. यहूदियों और ईसाइयों पर जिज़िया मुक़र्रर हुआ.
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