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Saturday 10 December 2016

*मिलाद शरीफ* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शरीअत की रौशनी में_*

*आप ﷺ की विलादत को ईद कहना कैसा ❓*
     आइये पहले हम ईद का मतलब समज लेते है, ईद के लूग्वि माना है ख़ुशी, अगर कोई अरबी ख़ुशी का लफ्ज़ अरबी में कहेगा तो वो यही कहेगा ""ईद""
     इसे समझने के लिये क़ुरआन की एक आयत पेशे खिदमत है

*_अल-क़ुरआन_*
     ईशा इब्ने मरीयम ने अर्ज़ की या अल्लाह ! ऐ हमारे रब ! हम पर आसमान से एक कुवा उतार की वो (कुवा उतरने के दिन) हमारे लिये ईद हो, हमारे अग्लो और पिछलों की,
*✍🏽सूरह माईदा, आयत 114*
     इस आयत से मालुम हुआ की जिस दिन अल्लाह عزوجل की खास रेहमत नाज़िल हो उस दिन को ईद मनाना और ख़ुशी मनाना अल्लाह عزوجل के शुक्र अदा करना अम्बिया का तरीका है, तभी तो हज़रत इसा अलैहिस्सलाम ने दुआ मांगी।

     आप खुद फैसला करे की जिस दिन हज़रत इसा अलैहिस्सलाम पर कुवा जैसी नेअमत उतरी तो वो उन के अगले और पिछलों के लिये ईद हो,
     तो जिस दिन सारे आ'लम के लिये और जहान के लिये जो ज़ात रेहमत है उन की विलादत हो तो उस दिन मुसलमानो के लिये ईद यानी ख़ुशी कैसे न हो ?

     आक़ा ﷺ ने फ़रमाया : जुमुआ का दिन सब दिनों का सरदार है, अल्लाह عزوجل के नज़्दीक सबसे बड़ा है और वो अल्लाह عزوجل के नज़्दीक "ईदुल अज़्हा" और " ईदुल फ़ित्र" से बड़ा है।
     अल्लाह عزوجل ने इसमें (यानि जुमुआ के दिन)
हज़रते आदम को पैदा किया
इसी में ज़मीन पर उनको उतरा
इसी में उनको वफ़ात दी
*✍🏽सुनन इब्ने माजाह, 1/8 हदिष 1084*
     इस हदिष में 3 खसल्ते हज़रत आदम के लिये बयान की गई जिसमे आप की वफ़ात ए ज़ाहिरी का भी ज़िक्र है।
     तो पता चला की एक नबी की पैदाइश उनका ज़मीन पर उतारना और उनकी वफ़ात के दिन के बावुजूद भी मोमिन के लिये अल्लाह ने उसे ईद बना दिया।
     और तो और वो "ईदुल अज़्हा" और " ईदुल फ़ित्र" से भी अफ़्ज़ल कर दिया।
     मेराज की रात आक़ा ﷺ ने तमाम अम्बिया की इमामत की थी
*✍🏽सुनन निसई, 1/221*

     जैसा की हदिष से पता चलता है की हमारे सरकार ﷺ तमाम अम्बिया के सरदार और इमाम है उनकी तशरीफ़ आवरी पर हम उस दिन को क्यू ईद न कहे।
     बल्कि हम तो उसे इदो की ईद कहेंगे की उनकी तशरीफ़ आवरी की वजह से ही तो हमें बाकि ईद मिली और हर हफ्ते में एक दिन करके पुरे साल में 52 इदो (जुमुआ) का तोहफा मिला इसी "राहमतुल्लिल आ'लमिन" की तशरीफ़ आवरी से मिला हैं तो हम क्यू उस दिन ख़ुशी न मनाये ?
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