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Saturday 3 December 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #07
     ये पहले तहरीर किया जा चूका है की उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها सफर से आते ही बीमार हो कर साहिबे फराश हो गई थी इस लिये वो इस बोहतान के तूफ़ान से बिलकुल ही बे खबर थी जब उन्हें मरज़ से कुछ सिहहत हासिल हुई और वो एक रात हज़रते उम्मे मिस्तह सहाबियाرضي الله تعالي عنها के साथ रफए हाजत के लिये सहरा में तशरीफ़ ले गई तो उन की ज़बानी इन्होंने इस दिल खराश और रूह फरास खबर को सुना। जिससे इन्हें बड़ा धचका लगा और वो शिद्दते रंजो गम से निढाल हो गई चुनांचे उनकी बिमारी में मजीद इज़ाफ़ा हो गया और वो दिन रात बिलक बिलक कर रोती रही, आखिर जब इनसे ये सदमा बर्दाश्त न हो सका तो वो हुज़ूरﷺ से इजाज़त ले कर अपनी वालिदा के घर चली गई और इस मनहूस खबर का तज़किरा अपनी वालिदा से किया, माँ ने काफी तसल्ली दी मगर ये बराबर लगातार रोती रही।
     इसी हालत में ना गहा हुज़ूरﷺ तशरीफ़ ले आए और फ़रमाया की ऐ आइशा ! तुम्हारे बारे में ऐसी ऐसी खबर उड़ाई गई है अगर तुम पाक दामन हो और ये खबर झूटी है तो अन क़रीब खुदा तुम्हारी बराअत का ब ज़रिऐ वही ऐलान फरमा देगा। वरना तुम तौबा व इस्तिग़फ़ार कर लो क्यू की जब कोई बन्दा खुदा से तौबा करता है और बख्शीश मांगता है तो अल्लाह उसके गुनाहो को मुआफ़ फरमा देता है।
     हुज़ूरﷺ की गुफ्तगू सुन कर हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها के आसु बिलकुल थम गए और उन्हों ने अपने वालिद हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ से कहा की आप रसूलुल्लाह काे जवाब दीजिये। तो उन्हों ने फ़रमाया की खुदा की क़सम ! में नही जानता की हुज़ूरﷺ को क्या जवाब दू ? फिर उन्हों ने माँ से जवाब देने की दरख्वास्त की तो उन की माँ ने भी यही कहा फिर खुद आइशा ने हुज़ूरﷺ को ये जवाब दिया की लोगो ने जो एक बे बुन्याद बात उड़ाई है और ये लोगो के दिलो में बैठ चुकी है और कुछ लोग इस को सच समझ चुके है इस सूरत में अगर में ये कहु की में पाक दामन हु तो लोग इस की तस्दीक़ नही करेंगे और अगर में इस बुराई का इक़रार कर लु तो सब मान लेंगे हाला की अल्लाह जानता है की में इस इलज़ाम से बरी और पाक दामन हु इस वक़्त मेरी मिषाल हज़रते युसूफ के बाप हज़रते यअक़ूब जेसी है लिहाज़ा में भी वही कहती हु जो उन्होंने कहा था "तो सब्र अच्छा और अल्लाह ही से मदद चाहता हु उन बातो पर जो तुम बता रहे हो"
पारह, 11
     ये कहते हुआ आप ने करवट फेर ली और कहा.....

बाक़ी अगली पोस्ट में.. أن شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 318*
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