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Tuesday 27 December 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #112
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①④⑧_*
     और एक के लिये तवज्जह की सम्त (दिशा) है कि वह उसी की तरफ़ मुंह करता है तो ये चाहो कि नेकियों में औरों से आगे निकल जाएं तुम कहीं हो अल्लाह तुम सब को इकट्ठा ले आएगा बेशक अल्लाह जो चाहे करें.
*तफ़सीर*
     क़यामत के दिन सबको जमा फ़रमाएगा और कर्मों का बदला देगा.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①④⑨_*
     और जहां से आओ अपना मुंह मस्जिदें हराम की तरफ़ करों और वह ज़रूर तुम्हारे कामों से ग़ाफ़िल नहीं.
*तफ़सीर*
     यानी चाहे किसी शहर से सफ़र के लिये निकलो, नमाज़ में अपना मुंह मस्जिदे हराम (काबे) की तरफ़ करो.
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