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Monday 5 December 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #14
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #08
     हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها ने करवट बदल कर मुह फेर लिया और कहा की अल्लाह जानता है की में इस तोहमत से बरी और पाक दामन हु और मुझे यक़ीन है की अल्लाह ज़रूर मेरी बराअत को ज़ाहिर फरमा देगा।
     हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها का जवाब सुन कर अभी हुज़ूरﷺ अपनी जगह से उठे भी न थे और हर शख्स अपनी जगह पर बेठा ही हुवा था की ना गहा हुज़ूरﷺ पर वही नाज़िल होने लगी और आप पर नुज़ूले वही के वक़्त की बेचैनी शुरू हो गई और बा वुजुदे की सदिद सर्दी का वक़्त था मगर पसीने के क़तरात मोतियो की तरह आपﷺ के बदन से टपकने लगे जब वही उतर चुकी तो हसते हुए हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया की ऐ आइशा ! तुम खुदा का शुक्र अदा करते हुए उसकी हम्द करो की उसने तुम्हारी बराअत और पाक दामनी का ऐलान फरमा दिया और फिर आपﷺ ने क़ुरआन की सूरए नूर में से 10 आयतो की तिलावत फ़रमाई।
     इन आयत के नाज़िल हो जाने के बाद मुनाफ़ीक़ो का मुह काला हो गया और हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की पाक दामनी का आफताब अपनी पूरी आबो ताब के साथ इस तरह चमक उठा की क़यामत तक आने वाले मुसलमानो के दिलो की दुन्या में नुरे ईमान से उजाला हो गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. أن شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 318*
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